सुनहरा बचपन
सुनहरा बचपन
ये जीवन है बचपन की सुनहरी यादों का
सपने है अनदेखे रातों का
एक रंग में रंग जाने का
हर दिन एक खट्टी मीठी यादों का।
हर रोज देखता हूं मैं अब दृश्य नया
खेलता हूँ प्रकृति के संग यहां
कुछ कर जाने का जोश है यहां
सपनो का गहरा सागर है यहां।
हजारों संग होती है आवाज बुलंद
हर दिन होता है यहां एक नया उमंग
हो जाती है ईर्ष्या कभी कभी दोस्तों के संग
फिर भी बाँटते हैं भोजन दोस्तों के संग।।