मैं एक मर्द हूँ
मैं एक मर्द हूँ
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
केरल की जिशा से
दिल्ली की निर्भया से
मैं शर्मिन्दा हूँ
क्योंकि मेरी ही जात
जिसे मर्द कहते हैं
में से कुछ लोगों ने तुम्हें शर्मसार किया
तुम्हारे साथ कुछ मर्दों ने जो किया
यक़ीन मानो
सुनते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए थे
ऐसा लगा था
जैसे किसी ने मेरे जिस्म के अन्दर
खंजर घुसा के
मेरे वुज़ूद का गला रेत दिया हो
और कुछ कट सा गया हो मेरे भीतर
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
उन मासूम बच्चियों से
जिनकी उम्र दो साल
या चार साल होती है
लेकिन फिर भी वो किसी मर्द की
हवस का शिकार होती हैं
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
दुनिया की हर औरत, लड़की और बच्ची से
कुछ मर्द
तुम्हारी आबरू से खेलना
अपना शौक़ समझते हैं
फूल को देखके ख़ुश होने के बजाए
तुम्हारी मुलायम पंखुड़ियों को नोंच कर
अपने पैरों तले कुचल देते हैं
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
सीता से
राम की ग़लती के लिए
उन्होंने सबकुछ जानते हुए भी
तुम्हारी अग्निपरीक्षा ली
फिर भी तुम्हें जंगल में फिंकवा दिया
मैं एक मर्द हूँ
और तुम्हें आज़ादी देता हूँ
अब तुम्हें किसी पति परमेश्वर
या मर्यादा पुरुषोत्तम की
दासी बनके रहने की कोई ज़रूरत नहीं है
तुम स्वतंत्र हो
आवाज़ उठाने के लिए
अब तुम्हें दुबारा
अग्नि परीक्षा देने की कोई ज़रूरत नहीं है
अगर अब भी कोई
तुम्हारे सामने राम बनने की कोशिश करे
तो इस बार अग्नि में
उसे भी अपने साथ खड़ा करना
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
द्रौपदी से
तुम्हारे पाँच पति भी मर्द थे
लेकिन सब के सब कायर थे
उनकी आँखों के सामने ही
तुम्हारे कपड़े
तुम्हारे जिस्म से उतार लिए गए
तुम्हारे बाल पकड़
भरी सभा में तुम्हें घसीटा गया
मगर उन्होंने कुछ नहीं किया
मैं एक मर्द हूँ
और कहना चाहता हूँ
अपनी बूबूओं, आपाओं, ख़ालाओं से
कि उतार के फेंक दो अपने बुर्क़े
इसमें तुम्हारी हिफ़ाज़त नहीं
ग़ुलामी छिपी है
तुम्हारे बच्चे अनपढ़, बेकार भटक रहे हैं
घर से बाहर निकलो
और काम पे लग जाओ
कब तक तुम्हारे बच्चे
सऊदी के शेख़ों का ज़ुल्म सहते रहेंगे?
मैं एक मर्द हूँ
और तुमसे कहना चाहता हूँ
अपने आप को कम मत समझो
औरत और मर्द
एक दूसरे की ज़रूरत हैं
हम दोनों बराबर हैं
हम दोनों के पास दिल है
जो धड़कता है
मैं एक मर्द हूँ
और मैं तुम्हें
अपने पीछे नहीं
अपने साथ खड़ी देखना चाहता हूँ
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
कि हम मर्दों ने धर्म और समाज के नाम पर
जो बेड़ियाँ
तुम्हारे पैरों में डाली हैं
वो बेड़ियाँ
तुम्हें ही तोड़नी होंगी
मैं एक मर्द हूँ
और बहुत शर्मिन्दा हूँ
कि हम मर्दों ने तुमपे बहुत ज़ुल्म किया है
जो हक़ हमने तुम्हें अब तक नहीं दिया
तुम आगे बढ़ो
और हमसे छीन लो
मैं एक मर्द हूँ
और मैं तुम्हें यक़ीन दिलाता हूँ
जिस दिन तुम हिम्मत से अपने हक़ के लिए
लड़ने लगोगी
हम मर्दों में इतनी हिम्मत नहीं
कि तुम्हें रोक सकें
हमने तो बस तुम्हारी मासूमियत का ग़लत फ़ायदा उठाया है
हमने तुम्हें ग़ुलाम बनाया
और तुम बन भी गई
लेकिन सिर्फ़ दाल-रोटी के लिए
ये ज़ुल्म कब तक सहती रहोगी?
तुम्हें शायद पता नहीं
तुम्हारी रेजिस्टेन्स पॉवर
हम मर्दों से ज़्याद: है
अपने आप को जानो
अपने आप को पहचानो
ऐशो-आराम के नाम पर
हमने जो झुमके और कंगन तुम्हें पहनाए हैं
सब उतार के फेंक दो
किसी सामान की तरह ख़ुद को सजाकर
बेचने की तुम्हें कोई ज़रूरत नहीं
मैं एक मर्द हूँ
और मैं माफ़ी चाहता हूँ
कि हम मर्दों ने तुम्हें
ख़ूबसूरत कहकर भी
तुम्हारी ज़िन्दगी
इतनी बदसूरत बना दी है