कॉलेज का जमाना याद आ गया
कॉलेज का जमाना याद आ गया
अजी क्या बताएं क्या सुनाएं
कितने प्यारे थे वे कॉलेज के दिन
जब पहली बार एडमिशन लिया
कॉलेज में वह पहला कदम।
ऐसा लगा मानो हमको मंजिल मिल गई।
हमारे सपनों को पंख लगाने की मंजिल मिल गई।
मन ऐसा कह रहा था कि मैं कॉलेज तेरा होने लगा हूं ।
तेरे ही सपनों में खोने लगा हूं।
क्योंकि
अब तक के स्कूल के अनुशासन में बंद ।
वही ड्रेस वही दो चोटियां वही जूते मोजे।
उन सब से छूटकर हमको आजादी मिल गई।
हमने भी इस आजादी का पूरा मजा लिया।
सबसे पहले जाकर बालों के साथ में अपना सपना पूरा किया
लंबी दो चोटियों को काट के आधा करवा दिया ।
घर में डांट ना पड़े इसलिए घर से निकलते रबड़ बैंड लगाकर।
थोड़ी दूर जाकर निकाल देते रबड़ बैंड और लहराते अपने बाल।
इतराते लहरा के बाल।
और बहुत खुश हो जाते
कॉलेज क्लास का वो पहला दिन।
आज भी याद आता है कितनी सारी दोस्त बन गई उस दिन।
वहां कोई भेदभाव ना था
कोई सरकारी स्कूल से आया तो कोई कान्वेंट से आया ।
कोई एमजीडी से आया।
मगर थे सब बराबर सब में इतनी प्यारी दोस्ती हो गई।
ऐसी ही आत्मीयता हमारे लेक्चरर गण के साथ हो गई।
सबका का साथ था बड़ा प्यारा
जो निभ रहा है आज तक सबने सबसे न्यारा ।
वह कॉलेज के दिन वह मस्तियां वह फैशनेबल कपड़े।
सब अपनी मर्यादा में।
वह रैगिंग में फंसकर
अपने सीनियर से दोस्ती को बनाना।
बहुत याद आता है।
कॉलेज का जमाना बहुत याद आता है।
वह पूरी क्लास का बंक करके क्रिकेट मैच देखने जाना।
सब खिलाड़ियों को नजदीक से देखना।
कॉलेज का जमाना।
मधुर स्मृतियों में आज भी है जिंदा ।
बहुत याद आता है कॉलेज का जमाना।
