हद
हद
तुम्हें जानना है ना
मेरे प्रेम की हद को
तो बताओ
कौन सा पैमाना है
तुम्हारी जद में....
जो नाप सके -
आसमां की विशालता को !
फिर कैसे जानोगे,
तुम मेरे-
हृदय की अनंतता को!
थाह ले न सके जब,
सागर में संभाव्यता की!
क्या जान सकोगे-
गहराई मेरे अंतस की!!
क्या आंक सके हो ,
गति तुम पवन की?
फिर कैसे समझोगे-
प्रवाहमयता मेरे मन की!!
मेरे पास नहीं है
कोई मापनी..
जो माप सके-
मेरे अहसासों को!
मेरे प्रेम की अगाध-
प्रगाढ़ता को!
बस जीती हूँ मैं
हर क्षण,हर पल..
अपनी रूह से-
तुम्हारी रूह तक के,
मिलन,का सफर..
तुम्हारे नाम-
हाँ सिर्फ तुम्हारे नाम,
मेरी बाकी अब-
हर श्वास है!
हाँ आज भी-
तुमसे मुलाकात की,
बरकरार जाने क्यों-
एक आस है..!!