प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
अंधेरे का साम्राज्य हो जब
महसूस कर रहे तुम खुद को एकाकी जब,
मूसलाधार हो रही हो बारिश जब
ऐसे में पहुंच नहीं पा रहे तुम घर जब,
खो रहे तुम हर उम्मीद जब
जी कर रहा हो छोड़ सबकुछ भाग जाने को जब,
रखना याद
बारिश हो नहीं सकती निरन्तर,
थमना ही है उसे,
धीरज धर रे मना,
प्रतीक्षा कर उजाले की ।
दर्द ही दर्द दिख रहा हो हर ओर जब
दुख पसार रहा हो पैर घर-परिवार में जब,
चिल्लाना चाह रहा व्यथित मन जब
पर निकल नहीं रही गले से आवाज़ जब,
छूटती प्रतीत हो रही हो जीवन की डोर जब
हारने लगा हो थक कर मन जब,
रखना याद
दुख-दर्द की उम्र होती नहीं ज्यादा
सुख की दस्तक आ ही चली है,
धीरज धर रे मना,
प्रतीक्षा कर उजाले की ।
झंझावात ये गुजर जाएगा
रहनेवाला नहीं यह सदा,
बारिश के बाद हमेशा
खिलती है सुनहरी धूप,
रखना याद
उजास भरी खिलखिलाती सुबह
बस अब आ ही चली है,
धीरज धर रे मना,
प्रतीक्षा कर उजाले की ।
ज़रूरत है जिन्हें तुम्हारी
प्रेम से तुम्हारे पगा है हृदय जिनका,
खड़े हैं साथ तुम्हारे
इस मुश्किल दौर में,
रखना याद
अकेले नहीं तुम
नज़रें घुमा कर देखो अपने आस-पास,
धीरज धर रे मना,
प्रतीक्षा कर उजाले की ।