रिश्ता हैं जिंदगी का हिस्सा, है यह, सब का किस्सा
रिश्ता हैं जिंदगी का हिस्सा, है यह, सब का किस्सा
एक रिश्ते में होता क्या है?
कभी प्यार, कभी दुलार होता है।
अरे, यह रिश्ता तो एक माँ का अपने बच्चों से होता है।
कभी सख्त, तो कभी सहारा होता है ,
यह रिश्ता तो एक बाप का उसके बच्चों से होता है।
कभी लाड, तो कभी बचने का जरिया होता है ,
यह रिश्ता तो दादा दादी का
अपने पोते- पोतियों से होता है।
जिद्दी ख्वाहिश जो पूरी करें,
चाचा चाची से हमारा यह रिश्ता होता है।
कभी शैतानी, तो कभी दर्द बाँटे ,
भाई बहन का यही तो रिश्ता होता है।
सब रिश्ते अनमोल है ,
पर सब में कुछ खास है ,
और यह सब पूरे हो जब
दोस्ती का रिश्ता इनमें जुड़ जाये।
क्यूंकि दोस्त वहीं जो सब कर जाये ,
बिन बताये दिल की बात कर जाये ।
हमसफर भी हम हमेशा एसा ही चाहें,
जो हमारा अच्छा दोस्त बन पाये l
दोस्ती का रिश्ता अलग ही नहीं बल्कि सबसे श्रेष्ठ होता है ,
कभी उसे दूसरे रिश्तों में जोड़ कर तो देखो,
उन रिश्तों का आधार और भी मजबूत हो जाता है।