है इम्तहान...
है इम्तहान...
जाने क्यूँ तू कहा से है आया
तेरी आने की खबर से दिल घबराया
भला ऐसा हैं क्या तुझमे
की तेरी वज़ह से दिमाग में तूफान है आया
जाने क्यूँ तू आता है
इस सुकून भरी जिंदगी को सताता है
तू जितना नजदीक आता है
उतना ही किताबों का पहाड़ बढ़ता चला जाता है
पर अगर वक़्त पर सब तैयारी करें
तो तुझे हराना इतना मुश्किल भी नहीं होता है
फिर भी तेरे नाम से इंसान आज भी डरता है
जाने क्यूँ इंसान ये बात नहीं समझता है
कि तु अगर जिंदगी में ना हो
तो भला मुश्किलों का सामना करना
हम कब सीखेंगे
किताबी परीक्षा तो सिर्फ अंक देती है
पर जिंदगी की परीक्षा तो तजुर्बा देती है
वह तजुर्बा हमें जिंदगी का
असली मतलब सिखाती है
लोगों को लोगों से जोड़ने का
तरीका बताती है
इसलिए परीक्षा को अपना दुश्मन नहीं
दोस्त मानना शुरू करो
उससे अपने जिंदगी का एक अतूट
हिस्सा मान लो
इनका सामना तुम हमेशा करना
आफत नहीं, एक मौका समझना।