नारी शक्ति
नारी शक्ति
मैं नारी हूँ और मुझमें चेतना भी है।
मुझमें सरलता और सहजता भी है।
हूँ सजग और मुझमें व्यापकता भी है!
मैं नारी हूँ और मुझमें धैर्य भी है।
मुझमें कृष्णा है और मैं तृष्णा भी तो हूँ!
कभी छाया तो कभी माया भी हूँ मैं !
प्रकृति भी मैं स्वीकृति भी मैं ही हूँ!
वंदना में मैं तो सराहना में भी मैं हूँ!
धरती भी मैं और वायु में भी तो मैं ही हूँ!
क्षितिज भी मैं और अग्नि में भी मैं ही हूँ!
निशा भी मैं और दिवा भी तो मैं ही हूँ!
जननी भी मैं और जाया भी मैं ही हूँ!
आर्या भी मैं और भार्या भी मैं ही हूँ!
वक्तृता में मैं और श्रुति में भी तो मैं ही हूँ!
मैं अरूणिमा हूँ तो चांदनी भी मैं ही हूँ!
श्रद्धांजलि में मैं और पुष्पांजलि में भी मैं ही हूँ!
शक्ति में मैं और भक्ति में भी मैं ही हूँ!
व्यथा में मैं तो खुशी में भी मैं ही हूँ!
वेदना में मैं तो संवेदना में भी मैं ही हूँ!
दुख में मैं तो सुख में भी मैं ही हूँ!
रीति में मैं तो प्रीति में भी मैं ही हूँ!
लेखनी में मैं तो तिजोरी में भी मैं ही हूँ!
पुतली में अगर मैं तो दृष्टि में भी मैं हूँ!
मैं अगर अग्नि हूँ तो मैं सुधा भी मैं ही हूँ!
सौंदर्य में मैं तो रौद्र भी मुझी से है!
मैं साधना हूँ और मैं अराधना भी हूँ!
सहेली भी मैं और पहेली भी मैं ही हूँ।
मैं नारी हूँ और मैं अभिसारी हूँ!