वक़्त
वक़्त
वक्त का बदलता चेहरा देख
अब दिल उदास नहीं होता
आँखें अपनी मुस्कान नहीं खोती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती
जिंदगी में, अपनों के लिए
अपने सपनों को देखा ही नहीं
क्या इसकी कोई ख़ुशी नहीं होती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती
अपना बनाने की कोशिश में
कभी अपने बन ही नहीं पाये
उन रिश्तों को अब नहीं ढोती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती
जो प्यार को समझे ही नहीं
उनको समझाने की कोशिश में
अब अपना वक्त नहीं खोती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती
मुझपर इल्ज़ामों की एक लड़ी है
अब खुद को सही साबित करूँ
जो समझें ही नहीं उन्हें नहीं रोती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती
झूठ का सहारा मुझे भाता नहीं
और सच कभी मीठा हो पाता नहीं
सच्चाई को सबूतों की दुहाई नहीं होती
और अब मैं नाराज़ नहीं होती