चलो मज़दूर बने हम..!
चलो मज़दूर बने हम..!
बहुत रहे मजबूर
चलो मज़दूर बने हम..!
नित नित कितने देव गढ़ूं
देवालयों का निर्माण करूँ
इन धूल धूसरित करों से
इस जग को स्वर्ग बनाता हूँ...!
कभी ब्रह्मा सा निर्माण करूँ
कभी विष्णु सा पालक बन जाऊँ
कहीं शिव बन कर विघटन करूँ
अपने श्रम से सृष्टि का उद्धार कराता हूँ...!
बहुत रहे मजबूर
चलो मज़दूर बने हम..!