होली है
होली है
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बेसाख़्ता बढ़ रही हो
पल पल दिल की धड़कन
करने लगे जब तन खुद नर्तन,
कह देना कि होली है...
दिन में गुमा हो रातों का,
रातों में निकला हो दिन
हिलोरें खा रहा हो मन,
कह देना कि होली है...
इमारत इक पुरानी सी,
इश्क़ की गुज़री कहानी सी
वही सूरत लगने लगे नूतन,
कह देना कि होली है...
अगर महसूस हो तुम को,
कभी जब हाथ खोलो तो
हवाओं में ख़ुशबू घुले है रंग,
कह देना कि होली है ...
बुलायें पास जब तुम को,
धुनें मेरी मुहब्बत की
गा उठे ताल पे धड़कन,
कह देना कि होली है...
.होली है... !!