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छोटा है तो क्या ?

छोटा है तो क्या ?

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छोटा है छोटा तो क्या ?

समझो न खुद को खोटा ?

तो क्या जो सबने टोका,

तो क्या जो सबने रोका ?


देखो तो कितने तारे,

टिमटिम करते हैं सारे।

आते दिन के सोते ही,

दिखते पर ये छोटे ही।


माथे की बिंदियाँ छोटी,

गालों की डिंपल छोटी,

छोटे ये तिल भी सोहे,

छोटे नैना मन मोहे।


रातों को छोटे जुगनू,

जगमग करते हैं जुगनू।

दीपक भी छोटा होता,

तम को फिर भी है हरता।


छोटे मुर्गी के अंडे,

खाते सब सन्डे, मंडे।

चावल के दाने छोटे,

क्या न दुनिया को देते।


देते हैं भर पेट भोजन,

इनसे हीं चलता जीवन।

सरसों की कलियाँ छोटी ,

दुनिया इनसे पर होती।


छोटा मोती का माला,

छोटा हीं कंगन बाला।

शिव की आँखे हैं छोटी,

जिनसे दुनिया है डरती।


छोटे आँखों के काजल,

खनखन करती हैं पायल,

सबको कायल करती है,

दिल को घायल करती है। 


कवि के दिल को भाती हैं,

भावों को लिख जाती है,

कलम भी छोटी होती,

पर ना ये खोटी होती।


इतना तो मैं भी जानूं,

होते जो ये परमाणु।

सृष्टि इनपे बसती है,

इनसे दुनिया चलती है।


छोटे सारे के सारे,

पर सबको लगते प्यारे।

फिर क्यों तुम सारे रोते ?

नाहक हीं सब सुख खोते।


बरगद के नभ को छूने से,

तरकुल के ऊँचे होने से,

ना अड़हुल शोक मनाता है ?

ना बरगद पे अकुताता है।


उतना हीं फूल खिलाता है,

उतना खुद पे इतराता है।

बरगद ऊंचा तो ऊंचा है,

ना अड़हुल समझे नीचा है।


छोटा तन तो क्या गम है,

ना होती खुशियाँ कम हैं।

उतने हीं तुम सोते हो,

उतने हीं तुम होते हो।


उतना हीं गा सकते हो,

उतना हीं खा सकते हो।

उतना हीं जा सकते हो,

उतना हीं पा सकते हो।


मिट्टी सा तन होता है ?

छोटा तो मन होता है,

मैंने बस इतना जाना, 

मैंने बस इतना माना।


छोटा तन पर ना रोना,

मन को पर तू ना खोना,

मन के जो खोटे होते,

सच में वो छोटे होते  

वो ही हाँ छोटे होते।  


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