STORYMIRROR

D.N. Jha

Abstract Action Classics

4  

D.N. Jha

Abstract Action Classics

तेरी डमरू से हे भोले

तेरी डमरू से हे भोले

1 min
215

तेरी डमरू से हे भोले, ये धुन कैसी जो आती‌ है।

तू ही जाने ये धुन कितना, हे बाबा मुझको भाती है।।


तू ही कण-कण बसे भोले 

इस अंतर्मन बसे भोले।२

तेरी डमरू की धुन भोले

सारी श्रृष्टि नचाती है।


तेरी डमरू से हे भोले, ये धुन कैसी जो आती‌ है।

तू ही जाने ये धुन कितना,हे बाबा मुझको भाती है।।


मेरे मन में बसो भोले,

इसअंतरतम बसो भोले।२

तेरी डमरू की धुन भोले

मेरे कष्टों को हरती है।


तेरी डमरू से हे भोले, ये धुन कैसी जो आती‌ है।

तू ही जाने ये धुन कितना, हे बाबा मुझको भाती है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract