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Shalini Rai

Abstract romance crime fantasy

4.6  

Shalini Rai

Abstract romance crime fantasy

औरत होने का दर्द .......

औरत होने का दर्द .......

2 mins
712


मां ने रोक लगा दी

 उसे प्यार का नाम दे दिया l

 पिता ने बंदिशे लगा दी 

उसे संस्कारों का नाम दे दिया l


 सास ने कहा अपनी इच्छाओं को मार दो

 उसे परंपराओं का नाम दे दिया l

 ससुर ने कहा 

 घर को क्या कैदखाना खाना बना दिया 

उसे अनुशासन का नाम दे दिया l


पति ने थोप दी अपनी सारी इच्छाएं 

 उसे वफा का नाम दे दिया l

ठगी सी खड़ी औरत जिंदगी की राहों पर

 और उसे तुमने किस्मत का नाम दे दिया l


 इस समाज ने यही सीखा है कि 

पर्दा लगा दो औरतों की इज्जत बचाने के लिए

 पर इस समाज का क्या ?

जो खुद खड़ा है उसे नोच खाने के लिए l


कहते हो तुम 

औरत की इज्जत की रखवाले हो 

 जबकि तुम ही अकेले उस पर

 कीचड़ उछालने वाले हो l


बेटी से कहते हो कि 

अपने घर की इज्जत खराब मत होने देना 

 कभी बेटे से क्यों नहीं बोलते कि

किसी घर की इज्जत 

खराब मत होने देना l


एक मर्द दुनिया में आता है 

औरत के जरिए 

 उसे पालती पोस्ती भी 

एक औरत ही है 

उसे प्यार भी एक औरत से ही होता है 

 शादी भी एक औरत से ही करता है 

लेकिन फिर भी वह औरत की 

इज्जत करना नहीं जानता


यह दुनिया की कड़वी सच्चाई है कि 

औरत की इज्जत क्या होती है 

यह बात मर्द को तब समझ आती है 

जब वह खुद एक बेटी का बाप बन जाता है l


एक औरत बेटे को जन्म देने के लिए

 अपनी सुंदरता को त्याग देती है 

और वही बेटा सुंदर बीवी के लिए

 अपनी मां को त्याग देता है l


सब कहते हैं कि 

औरत का अपना कोई घर नहीं होता

 लेकिन सच तो यह है कि

 औरत के बिना कोई घर

 घर नहीं होता l


एक औरत का जीवन 

संघर्षों से भरा हुआ है

कभी-कभी तो लगता है कि

औरत होना एक सजा है

 न पढ़ें तो अनपढ़ जाहिल


पढ़ ले तो पढ़ाई का घमंड

सब से मिलकर रहे तो चालाक

 ना रहे तो घमंडी ! 

हजारो फूल चाहिए 

एक माला बनाने के लिए 

हजारों दीपक चाहिए


 आरती सजाने के लिए

हजारों बूंद चाहिए 

 समंदर बनाने के लिए

 लेकिन एक औरत काफी होती है 

 घर को स्वर्ग बनाने के लिए l



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