STORYMIRROR

shivendra 'आकाश'

Abstract Inspirational

3  

shivendra 'आकाश'

Abstract Inspirational

एकाकीपन

एकाकीपन

1 min
295

भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन,

कितना सुना सुना लगता है यह एकाकीपन।।


नीरस सा होकर जागता है रात यह चन्द्रमा,

पानी बनकर दिल में सबके रहती है ये ऊष्मा,

चलता है मन पाने सपनों की बुनियाद पर,

जख्मों को सीकर जख्मों की ही फरियाद पर,

कहता नहीं है मन दिशा भटक गया है मन,

भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन।।


तुम बिन जैसे मन में हलचल कुछ कम है,

आँखों का पानी जैसे तुम बिन कुछ नम है,

अब सांसे चलती है या सूखी सी आहें भरती हैं,

तुम्हारे आने का ही तो ये इंतजार करती है,

चलती है हवाएँ चारों तरफ मौसम के बिन,

भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन।।

    


विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi poem from Abstract