ईश्वर की कविता
ईश्वर की कविता
चढ़े समाधि की सीढ़ी पर
पैर तले दुख की पीढ़ी पर।
त्याग शरीर चला आऊंगा
भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा।
मन में रखना दृढ़ विश्वास
करें समाधि पूरी आस।
मुझें सदा जीवित ही जानो
अनुभव करो सत्य पहचानों।
मेरी शरण आ खाली जाय
हो वो कोई मुझे बताएं।
जैसा भाव हुआ जिस जन का
वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
आ सहयता लो भरपूर
जो मांगा वो नहीं है दूर।
मुझ में लीन वचन, मन ,काया
उसका ऋण ना कभी चुकाया।
जो शरण में मेरी आएगा
संकट दूर भगाएगा।
धन्य धन्य वो भक्त अनन्य
मेरी शरण तज जिसेे न अन्य।
भार तुम्हारा मुझ पर होगा
वचन ना मेरा झूठा होगा।