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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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कुहासा किरण

कुहासा किरण

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कुहासा किरण

बन गई जिंदगी

तू गईं या

मिल गईं जिंदगी


सब तो मना रहे है

जन्मदिन यहाँ

मुझे लगता है

तू गई जिंदगी


वो पैमाने वक़्त के

छलक गए जिंदगी

कभी भरे कभी खाली

तड़फ गए जिंदगी

सब तो मना रहे

है खुशियाँ जिंदगी

मुझे लगता है

तू गईं जिंदगी


गमों की बरसात

अब भई जिंदगी

खुशियों की उड़ान

अब गई जिंदगी

कल तक थे दुःखी

वो खुश आज हैं

मुझे लगता है

तू नहीं जिंदगी

कुहासा किरण

बन गई जिंदगी....



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