शिव की आराधना
शिव की आराधना
दिन का आरम्भ और हो नाम प्रभु का,
संदेश देता है शुभ परिणाम जीवन का,
तुम्ही से मिलती शक्ति तुम्ही से सृष्टि है,
तुम्ही से बनी आस्था तुम्ही से भक्ति है,
इस जन्म और मरण का आधार तुम से,
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समूचा संसार तुम्ही से,
तू सोमेश्वर तू चन्द्रेश्वर है भोले भण्डारी,
वंदन नमन करुं हे कृपा सिंधु गंगाधारी,
तुम हो करुणा सागर घट-घट के वासी,
मुक्ति मिलती सबको पावन तेरा धाम है,
हे महाकाल तुम तो हो नीलकंठ बैरागी,
करो कृपा जग के परमपिता हे त्रिपुरारी,
शिव के भक्त गाते हैं शिव की महिमा,
उनकी पूजन आराधना में होती गरिमा,
शिव की महिमा लेती है सबका मन हर,
देखो आया है महाशिवरात्रि का पावन पर्व,
भोलेनाथ की शक्ति है अद्भुत और अपार,
भक्तों पर शिव की महिमा होती अपरंपार,
भस्म रमाये तन पर और हैं नंदी पर सवार
आया-आया महाशिवरात्रि का पावन त्यौहार,
खूब सज -धज गए देखो यहाँ मंदिर सारे,
दूर-दूर तक सुनाई देते महादेव के जयकारे,
गूंज रहा है ओम नमः शिवाय का स्वर,
आया है महाशिवरात्रि का ये पावन पर्व,
भस्म लगाकर उनकी कृपा सबसे भारी है,
ऐसे ही हमारे शिव शंकर भोले भंडारी हैं,
हे सोमेश, हे चंद्रेश तेरी महिमा अपरंपार है,
करुणा के सागर सबसे बड़ा तेरा दरबार है,
भोले भंडारी, हे त्रिपुरारी तेरी शक्ति अपार है,
सृष्टि के कर्ता चलता तुझसे ही सारा संसार है,
वंदन नमन करूँ उसे नित जो नीलकंठ बैरागी है,
सबसे बड़ा तेरा दरबार, जग तेरा ही अनुरागी है!
कंठ में विष का प्याला रूप बड़ा निराला है,
शिव की महिमा देखो ये बड़ा मतवाला है,
करुणा के सागर,कृपासिंधु है गंगाधारी
पर्वत पर विराजे आसन तो मृग का छाला है,
चाहूँ दिशा में गूंज रहा ऊँ नमः शिवाय का स्वर है,
जो करते इन मंत्रों का जाप मन में न रहता डर है,
देखो शिव भक्त गाते शिव की महिमा अपरंपार है,
सच्चे मन से जो पूजे उनको मिलता मनचाहा वर है !
