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Neeraj Shelke

Romance

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Neeraj Shelke

Romance

तुझी मैत्री

तुझी मैत्री

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तुझी मैत्री 

कळाली ना, 

सात जन्म

मिळाली ना


काय होता 

माझा गुन्हा, 

विचारले 

पुन्हा पुन्हा


उत्तर तू 

सांगशील, 

प्रश्न पुन्हा 

मांडशील


इतका का 

राग आला, 

मैत्रीचा हा 

भाग झाला? 


घे ना मला 

समजून, 

कधीतरी 

उमजून


का वाढवी 

अशी आता, 

हीच का ती 

मैत्री गाथा? 


आपणही 

मित्र होऊ, 

सात जन्म 

सुखी राहू


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