Gulafshan Neyaz

Drama

4.0  

Gulafshan Neyaz

Drama

ज़िन्दगी के दो पहलू

ज़िन्दगी के दो पहलू

2 mins
460


दुनिया में हर चीज के दो पहलु होते है। एक अच्छा दूसरा बुरा पर दोनों पहलु हमेंं कुछ ना कुछ ज़िन्दगी में सिख देकर जाते है।

जिस तरह कोरोना के कारण महामारी फैली. पूरी दुनिया उलछ के रह गई. बड़े से बड़ा देश जो मिनटों मानव विनाश के लिए एक से एक हथियार और मिसायल बना लेता था। वो मानव जीवन बचाने के लिए दवा नहीं बना पा रहा। आज सारे साइंटिस्ट एक तरह है और ये बीमारी एक तरफ जो दिन बेदिन अपना पाँव पसारते ही जा रही है।

कोरोना से बचने के लिए जो लॉकडाउन किया गया उसके कुछ दुखद परिणाम है तो कुछ सुखद भी है आज हमारा पर्यावरण कुछ हद तक साफ हो गई है। कुछ हद तक हम वायु में सांस ले सकते है। आज गंगा का जल निर्मल हो गया. जिसे निर्मल करने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने कितनी कोशिश की थी। पर वो पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। परंतु इस लॉक डाउन के कारण गांगा की तलहटी दिखये दे रही है। लोगो को अगर दो मिनट का रास्ता हो तो उसके लिए भी बाइक यूज़ करते है।

चौबीस घंटे गाड़ी चलती रहती है. एयरोप्लेन उरते रहते है जिसके कारण हमारी धरती के साथ आसमान भी प्रदूषित होता रहता है। और ईंधन का भंडारा खत्म होता है। जो आज कल नहीं हो रहा।

इस महामारी में हमने रीसाइक्लिंग सीखी है. पहले कोई सामान टूट जाता था। हम तुरंत फेक देते कौन करेगा इतनी मेंहनत इस से अच्छा तो नया. ले लो पर आज हम टूटी होय चप्पल फटे होए कपड़े को सील कर यूज़ कर रहे है।

हमेंं अनाज की रोटी की कीमत समझ में आयी। जिस औलाद को पालने के लिए हम चोरी डकैती छुट सच हेरा फेरी सब करते है। इसमेंं कूछ रिस्तो की असलियत समझ में आई।

भले ही हम कितने पढ़े लिखें हो पर कौन पढ़ये बच्चे को अपने बाप माँ से बच्चे कहाँ पढ़ते है ऐसा तर्क देकर हम अपना पीछा छुराया करते थे। इस से तो अच्छा एक कोचिंग लगा देते है। उस पेरेंट्स को अपने बच्चे की भविष्य की चिंता होने पर अब खुद से पढ़ा रहे है और बच्चो के साथ समय गुज़ार रहे है. जो लोग कहा करते थे ज़िन्दगी सस्ती है आज इस महामारी ने प्रूफ कर दिया दौलत सस्ती है। और जान महंगी है। कोरोना ने आज पुरे दुनिया को बंद कर दिया। प्रकृति के खिलाफ चलाने से कही इस से भी जायदा दुष्परिणाम सामने आ सकते है। 


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