Dheerja Sharma

Inspirational

4.8  

Dheerja Sharma

Inspirational

ज़ायका

ज़ायका

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"ओहो !आज फिर सब्ज़ी में नमक नहीं।क्या करती हो?तुम्हारा ध्यान किधर रहता है? व्हाट्सएप पर बिजी होंगी।अब इस सब्ज़ी की फ़ोटो खींच कर स्टेटस डाल दो...यम्मी यम्मी।" अमर फ़ोन का ताना देने का कोई मौका नहीं चूकता था। प्लेट को धकेलते हुए वह डाइनिंग टेबल से उठ गया।

सुनिधि हैरान थी।आज सुबह से फ़ोन की शक्ल तक नहीं देखी। उसे अच्छी तरह याद है कि उसने दाल में नमक डाला था।शायद कम डला होगा।अमर हर रोज़ कोई न कोई कारण ढूंढ ही लेता है सुनिधि पर चिल्लाने का !हर बात में फ़ोन का ताना देता है।यद्यपि घर के काम काज में व्यस्त होने की वजह से वह पूरा पूरा दिन फ़ोन नहीं देख पाती।लेकिन इंसान है आखिर! अपने दोस्तों और परिवार वालों से जुड़ा रहना उसे भी अच्छा लगता है।आफिस से लौटने के बाद खुद हमेशा फ़ोन में डूबा रहता।अकेले अकेले हंसता रहता।आये दिन स्टेटस अपडेट करता।सुनिधि ने तो कभी फ़ोन का ताना नहीं दिया।

खाने की थाली देख कर वह उदास हो गयी।कितने मन से अमर की पसंद की दाल मखनी बनाई थी।साथ में पुदीने की चटनी भी!उसे लगा आज तो खाने की तारीफ ज़रूर होगी।लेकिन ज़रा से कम नमक ने सारा माहौल खराब कर दिया।

13 वर्षीय अमूल्य को पापा की यह तुनकमिजाजी बिल्कुल भी पसंद नहीं।

अमूल्य फौरन किचेन में गया और नमक की डिबिया ला कर दाल में छिड़क दिया।

चम्मच मुँह से लगाते ही बोला," वाह मम्मा ! क्या दाल बनाई है! और चटनी.. मज़ा आ गया।मैं तो बड़ा हो कर मम्माज किचेन स्टार्ट करूँगा।देखना ये ज़ोमेटो, स्विगी सब की छुट्टी हो जाएगी ! "

अमूल्य का कहने का अंदाज़ ही ऐसा था कि सुनिधि के चेहरे पर बरबस हँसी आ गयी।अमर ने घूर कर अमूल्य को देखा।वह घबरा कर चुपचाप खाना खाने लगा।सुनिधि मन में सोचने लगी कि काश अमर भी ऐसा ही कर देते।ज़रा सा नमक डाल लेते तो खाने और ज़िन्दगी ,दोनों का जायका बना रहता।



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