युक्ती
युक्ती
पढ़ी लिखी सौम्या की समाज सेवा उसके ससुराल वालों के लिये अब परेशानी का सबब बनती जा रही थी।मन मे प्रगाढ़ होते सेवाभाव से एक और जहाँ वो पास की बस्ती के लोगो के लिये मसीहा बन चुकी थी।तो वहीं दूसरी और अपने परिवारी जनों को समय न दे पाने के चलते घर मे अपनी सास आदि से उसके संबंधों की मधुरता दिन ब दिन कम होती चली जा रही थी।उन्हें अब सौम्या की ये समाज सेवा बिलकुल भी रास नही आ रही थी।फिर एक दिन जब उसके पति ने उसे समझाते हुए कहा।की घर के लोगो से तुम्हारा ये रूखा व्यवहार ठीक नहीं।
जरा सोचो अगर हमारे घर की ये बाते आम हो गई तब समाज मे हमारी कितनी बदनामी होगी।और तुम्हारे विरोधियों को भी बेवजह का मुद्दा मिल जाएगा सो अलग।चतुर सौम्या को पति की बात समझते देर न लगी।और अब उसके इस व्यवहारिक परिवर्तन से कुछ ही दिनों में आपसी संबंधों की मिठास व क्षेत्र में उसका कद दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।