Ragini Ajay Pathak

Inspirational

4.5  

Ragini Ajay Pathak

Inspirational

ये तो सास बहू है

ये तो सास बहू है

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ये उम्र भी बड़ी अजीब चीज है। इसकी वजह से अधिकतर औरतें अपने तरीके से अपना जीवन भी नही जी पातीं क्योंकि अक्सर ये हमारे बीच आ जाती है। लेकिन मुझे आज तक ये बात समझ में नही आया कि आखिर ये उम्र बीच में क्यों और कैसे आती है। खासकर जब बात हम औरतों की हो तब तो सबसे पहले हर बात में उम्र ही बीच में आ जाती है। अक्सर लोगों को कहते सुना होगा,"अरे बेटी की उम्र शादी लायक हो गयी" ,"अरे लड़की की उम्र लड़के से छोटी ही होनी चाहिए शादी में " ,"अरे इतनी उम्र हो गयी लड़की की अब तक कुँवारी है।" अरे सास हो सास की तरह रहा करो ये कोई उम्र है चटक रंग पहनने की, अरे ये कोई उम्र है रेड लिपिस्टिक लगाने की ,अरे इस उम्र में इतना मेकअप वगैरह ना जाने क्या क्या?

अब इसी उम्र में फंस गयी मैं यानी रिया और मेरी सासू माँ भावना। जो देखने मे मुझसे ज्यादा मॉडर्न और सुंदर हैं। अकसर लोगो को देखकर ये भ्रम हो जाता है कि वो मेरी सासुमां है या मेरी बड़ी बहन है। क्योंकि वो देखने मे सास जैसी नही दिखती। जिससे मुझे तो कोई समस्या या जलन नही होती थी लेकिन देखने वालों और आस पड़ोस वालों को समस्या हो जाती थी। रहने को हम मॉडर्न सोच वाली मायानगरी मुंबई में रहते हैं। लेकिन औरतों को लेकर उम्र की वही पुरानी माथापच्ची।

खैर इन बातों को छोड़कर आइए मैं आपको कहानी के बारे में बताती हूं।

रिया की सासुमां समय की पूरी पाबन्द हैं और रिया बिल्कुल भी नहीं। लेकिन उन्होंने कभी रिया के लिए कोई नियम नही बनाए। ना ही किसी काम के लिए रोक टोक ही करती थीं।

रिया की सासुमां अगर साड़ी पहनती हैं तो सूट ,शॉर्ट्स और ट्रैक सूट भी पहन कर बाहर जॉगिंग पर और घूमने निकल जाती हैं। लेकिन ये बात आस पड़ोस के लोगो को पसंद नही आती थी। इसलिए अक्सर लोग कानाफूसी करते हुए कहते,"बेहाया ,कहीं की इतनी उम्र हो गयी। जवान बेटे बहू हैं घर में और इनके कपड़े तो देखो ; कौन कहेगा ये सास हैं ?पति बेचारा व्हीलचेयर पर और ये खुद को रेखा और शायरा बनो जैसी हीरोइन समझती हैं।"

एक दिन रिया और उसकी सास शॉपिंग करके साथ आ रही थी तभी रिया के कानो में कुछ बात पड़ी। जिसे सुनकर रिया को तो बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी सासुमां मुस्कुराती रही।

सास को मुस्कुराते देखकर रिया ने उनसे पूछा,"माँजी ये लोग आपकी खास सहेलियां बनती हैं। औऱ ये रोमा(रिया की पड़ोसी) तो आपकी कितनी हितैषी बनती है जब देखो तब आपसे "आंटी आप क्या लगते हो? कुछ टिप्स हमे भी दे दो हम भी सुंदर दिखें"जैसी सामने बातें करती है। और पीठ पीछे आपकी ही चुगली कर रही है। "

इस पर रिया की सास ने उस से कहा,"मुझे इन लोगों की बातों से फर्क नही पड़ता। मुझे तो बस अपनी और अपने परिवार के सुख दुःख से फर्क पड़ता है। और मेरी मानो तो खुद को खुश रखने के लिए तुम भी ये मन्त्र अपना लो। वरना हम औरतों के बारे में लोग तो बातें बना बनाकर ही सारी उम्र निकाल देंगे और हम उनकी सुन सुनकर उनके चक्कर में खुद को उनके कहे हिसाब से बदल कर उन्हें खुश करने की नाकाम कोशिश करके खुद को दुःखी और कुंठित करके सारी उम्र निकाल देंगे। लेकिन फिर भी ताउम्र ये बातें बन्द नही होगी।

दरअसल पन्द्रह साल की छोटी उम्र में ही भावना जी की शादी उनसे उम्र में बारह साल बड़े महेश जी से हो गयी थी। भावना जी की माँ सौतेली थी। और पूरे घर में उनका ही राज चलता था गांव में पली बढ़ी भावना जी की सौतेली मां के साथ साथ बाकी घर वालो के लिए भी ये कोई बड़ी बात नही थी। इसलिए सौतेली मां के कहने पर भावना जी के पिता ने उनकी जल्दी शादी कर दी। शादी के बाद भावना जी अपने ससुराल मुंबई आ गयी। ससुराल में भावना जी की सास भी कड़क स्वभाव की थी। लेकिन महेश जी सपोर्टिव थे उन्होंने भावना जी को बारहवीं तक प्राइवेट पढ़ाई कराई। सोच से आधुनिक ख्याल के महेश जी को भावना जी का हमेशा सज धज कर हर तरह के कपड़े पहनकर रहना अच्छा लगता था। उन्होंने अपनी तरफ से भावना पर कभी कोई रोक नहीं लगायी। सासुमां के पोते का मुँह दिखा देने के दबाव में उम्र के महज सोलह वर्ष पूरा करते ही भावना जी ने अपने बेटे को जन्म दिया। कपडों के व्यवसायी महेश जी का रोड एक्सीडेंट हुआ जिसमें वो अपने पैर गवां बैठे। और उसके कुछ सालों बाद शरीर का दायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। सामाजिक पारिवारिक तमाम परेशानियों को पार करते हुए भावना जी ने अपने पति के व्यवसाय के साथ साथ अपने पति ,परिवार और बच्चे को भी भली भांति अकेले ही सम्भाला। बेटे को व्यवसाय में कोई दिलचस्पी नही थी इसलिए वो इंजीनियर बन गया। और अपने साथ ही पढ़ने वाली लड़की यानी रिया से शादी कर ली।

भावना जी नियम से योगा,एक्सरसाइज करती और महेश जी को साथ लेकर सुबह शाम वकिंग पर जातीं। एक दिन रिया भी उनके साथ अपने कुत्ते टोफू को लेकर भावना जी के साथ निकली। रिया एक समझदार और सुलझे हुए विचारों की लड़की है। उसे बचपन से ही समाज के बनाए महिलाओं के लिए कुछ दकियानूसी रिवाज बिल्कुल भी नही पसंद थे । जिनका वो हमेशा से ही खुलकर विरोध करती थी

आज जब रिया अपने सास और ससुर जी के साथ अपने कुत्ते टोफू को लेकर पार्क मे आयी। तो रिया ने अपनी सास से कहा,"माँजी आप टोफू को टहला लीजिए मैं पापाजी को देखती हूँ। क्योंकि मैं तो इतनी वाकिंग नहीं कर सकती । "

भावना जी टोफू के साथ पार्क के चक्कर लगाने लगीं तो उन्हें देख कर आसपास के लोग और पार्क में मौजूद कुछ औरतें कानाफुस्सी करने लगी,"देखो तो जरा, भावना पर तो जैसे बुढ़ापे में जवानी छा गई है। अपनी उम्र का जरा भी ख्याल नहीं है। सास बन गयी मगर मजाल जो फैशन में कोई कमी आयी हो । सास बनने के बाद के तो जैसे भावना पर और भी जवानी की शोखी छा गई है।"

तभी वहाँ रिया के ठीक पीछे मौजूद पड़ोस वाली रोमा और तिवारी आंटी जी भावना जी को लोवर टी शर्ट में देख कर हँसी से लोटपोट हो गईं और धीरे से बुदबुदाईं ,"बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम। इस उम्र में ये लोवर टीशर्ट पहन कर खुद को क्या साबित कर रही हैं।"

इतना सुनते मोबाइल देखती रिया को रोमा पर बहुत गुस्सा आया वो आगे बढ़ कर जा ही रही थी ।उनका जवाब देने की तब तक वहाँ उसकी सास आ गई और उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा,"रिया गुस्से पर कंट्रोल करना सीखो।"

सब वहाँ से घर चले आये लेकिन रिया जो अब भी बहुत गुस्सा आया हुआ था। उसने कहा,"माँजी माफ कीजिएगा लेकिन मैं इस तरह बाते सुनकर अनसुना नही कर सकती। ना जाने आप कैसे बर्दाश्त कर लेती हैं?"

भावना जी चुपचाप रिया की बात सुनकर मुस्कुराने लगीं।

शाम को सोसाइटी के कम्यूनिटी हॉल में नवरात्रि का जगराता रखा गया था। रिया और भावना दोनों ने ही एक जैसी जरी की सुंदर साड़ी और गजरा लगा कर पहुँची थी तो सब उन्हें देख कर भौं चक्के रह गए।

वहाँ जगराते में आयी सोसाइटी की एक औरत ने भावना जी से प्रशंसा करते हुए कहा,"ये साड़ी कितनी सुंदर लग रही है।,आप दोनों बहने तो इस साड़ी में कमाल की लग रही हैं। ..."

तभी वहां मौजूद पड़ोस की रोमा ने बीच मे तपाक से व्यंग करते हुए कहा,"अरे! ये दोनों बहने नहीं सास बहू हैं।"

रोमा की बात सुनने के बाद भी वो औरत बिना कुछ बोले चुपचाप चली गयी । रिया और उसकी सास ने भी कुछ नही कहा। तो रोमा और उसकी सास दोनों वहाँ से चली गयी।

लेकिन रिया को अब रोमा की सोच और हरक़तों पर गुस्सा आने लगा। रोमा अब सोसायटी की बाकी आंटियों को भी भावना जी के खिलाफ भड़काने का काम करने लगी।

कुछ दिनों बाद सोसाइटी में महिला दिवस के अवसर पर पार्टी का आयोजन किया। तब रिया की सास ने ग्रे गाउन पहन रखी थी जिसमें वो बहुत ही सुंदर दिख रखी थी। जो भी उनको देखता सबकी नजरें उन पर टिक जाती।

उन्हें देखकर रोमा की सास ने कहा,"बुढ़ापे में इन्हें बहू को देखकर अपनी जवानी याद आ रही है जो उस बिचारी से बराबरी करके कपड़े पहन रही हैं। खुद को बहू से स्मार्ट दिखाने की नाकामयाब कोशिश कर रही हैं।"

तभी वहाँ रिया आ गयी और उससे रोमा ने कहा,"देख रिया बुरा मन मानना ,लेकिन मैं तुझे ये सलाह तेरी अच्छी दोस्त और पड़ोसी होने के नाते दे रही हूं। अपनी सास को समझा कि हर चीज की सही उम्र होती है। जो तभी की जाए तो अच्छी लगती है अब उनकी उम्र हो चुकी है। उन्हें अब ये सब शोभा नही देता। मेरी सास को देख कितने अच्छे से रहती हैं। आप ही बोलिए, शर्मा आंटी(वहाँ मौजूद सोसायटी की अन्य बुजुर्ग महिला) क्या मैं कुछ गलत कह रही हूं।"

शर्मा आंटी ने कहा,"अरे बेटा अब क्या बोलू,ऐसी ही बूढ़ी औरतों की वजह से तो समाज गर्त के जा रहा है। जिनके अंदर खुद शर्म और उम्र का लिहाज नही वो अपने घर की बहू बेटियों को क्या संस्कार और शिक्षा देंगी।"

गुस्से में रिया ने जैसे ही बोलना चाहा। भावना जी ने रिया का हाथ दबाकर उसे इशारे से चुप रहने के लिए कहकर आज पहली बार सबके बीच भावना जी बोल पड़ीं,"बहनजी, मैं बूढ़ी हुई हूँ लेकिन मेरे शौक और हॉबी तो बूढ़े नही हुए हैं। मन से तो मैं आज भी जवान ही हूँ। और किसने आपसे कहा कि संस्कार और शिक्षा सिर्फ साड़ी में ही दिया जा सकता है। कपडो से संस्कार और शिक्षा को पढ़ते और सीखते सिखाते तो मैंने ना कहीं देखा ना ही पढ़ा और सुना है।"

तभी रोमा की सास ने व्यंग्य कसा,"तो क्या शौक पूरे करने में उम्र की कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। आप जैसी महिलाओं की इसी सोच के कारण ही महिलाओं के प्रति अपराध बढे हैं। भद्दे कपड़े पहनकर गलती खुद करो और दोष कही और मंढ दो"

इतना सुनते भावना जी हँस दी ।

उन्होंने कहा ,"हम औरतों की ख्वाहिशों के बीच ये उम्र ना जाने क्यों आ जाती है। रही बात महिलाओं के साथ अपराध की तो खराबी किसी औरत के कपड़े में नही बल्कि अपराध करने वाले अपराधी के दिमाग और मन में होती है। फिर चाहें महिला सूट में हो,साड़ी में,या फ्रॉक या जीन्स में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। "

इसलिए मैं तो कहूंगी हम औरतों को अब अपनी सोच को थोड़ा बड़ा करना चाहिए और समय के साथ जरूरत पड़ने पर बदलना भी चाहिए । हम औरतों को परिवार समाज के साथ थोड़ा अपने मन का भी कर लेना चाहिए। हँसी खुशी हमें अपने जीवन की हर पारी एन्जॉय करते रहना चाहिए। और कोई कपड़ा या रंग किसी उम्र का मोहताज नही होता।

तभी रोमा ने तंज कसते हुए कहा"आंटी जी, अपने बुढ़ापे को स्वीकार करिए और थोड़ा भजन कीर्तन में भी मन लगाइए। मन को शान्ति मिलेगी। ये उपदेश की बातें सिर्फ भाषण और किताबों में ही अच्छी लगती है।"

रोमा की बात सुनते वो मुस्कुरा दी ,क्योंकि उन्हें पता था कि ये सारा कुछ उसका किया कराया है उसने ही सबको उनके खिलाफ भड़काने का काम किया है।

रोमा की तरफ देखते हुए वो शांत भाव से बोलीं," रोमा मैं भजन कीर्तन के लिए अगर आस्था चैनल और संस्कार टीवी देखती हूं तो मन करने पर डिस्कवरी चैनल और नेशनल जियोग्राफी के साथ हॉलीवुड मूवी और फैशन चैनल भी देखती हूँ।"

मिसेज शर्मा (शर्मा आंटी) आप बताइए आप तो मुझे बहुत पहले से देख रही हैं। हमारे तो बच्चें भी साथ पढ़े और बड़े हुए है। मैं तो पहले से ही ऐसे रहती हूं तो बहु के आने पर अपना रहन सहन क्यों बदलूँ।

आप अनुभवी हैं इसलिए आपसे कह रही हूं कि आप मेरी बात समझेंगी। हम औरतों की अपनी उम्र होती ही कहाँ है? कभी पति की उम्र से जोड़कर बड़ी भाभी,आंटी जी मामी चाची और भी ना जाने क्या क्या रिश्ते नाते बन जाते है। तो कभी समाज बच्चों को देखकर उम्र की गड़ना करने लगता है। और फिर बहू के आने पर सास बनते बूढ़ी होने का तमगा चिपका दिया जाता है। मां बाप के पास मायके में सुनने को मिलता है ससुराल जाकर करना जो करना होगा , मायके में इतना मेकअप और मॉडर्न कपड़े पहन कर घूमना ये सब अच्छा नही लगता।और ससुराल आकर गृहस्थी की गाड़ी पकड़ा कर कह दिया जाता है। अब बचपने की उम्र नहीं समझदार बनो बड़ी हो बच्ची नहीं।


तब शर्मा आंटी ने कहा,"तुम सही कह रही हो भावना, ना जाने बहकावे में मैं तुम्हें क्या क्या बोल गयी। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।"

लेकिन इधर रोमा इन सब के बीच भुनभुनाये जा रही थी तब भावना जी ने रोमा से कहा

"रोमा वैसे आज तुम्हारे सामान्य जानकारी के लिए तुम्हें एक बात बताती हूं। ध्यान से सुनना, जानती हो मेरा जन्म 1979 में हुआ है और तुम्हारा 1982 में और रिया का 1996। यानी मेरी तुम्हारी उम्र में सिर्फ तीन साल का और रिया से तुम्हारी उम्र में दस साल से भी ज्यादा का अंतर है फिर भी तुम रिया को अपनी दोस्त और मुझे आंटी कहती हो , जिससे मुझे कभी कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन तुम्हे मेरे कपड़ों रहन सहन से हमेशा परेशानी रहती है। क्या मैं जान सकती हूँ क्यों?"

तुम्हारी नजर में क्या ये सही है? क्या इसे ही अच्छे संस्कार और शिक्षा कहते है। मुश्किल से तुम्हें इस सोसायटी में आए एक साल हुए हैं। और मैं तो कई सालों से हूँ। मेरे बारे में बिना कुछ जाने समझे बिना मतलब के अनर्गल बातें करने का क्या मतलब समझूँ मैं ,।

मेरी शादी महज पन्द्रह वर्ष की उम्र में हुई,क्यों हुई और किस वजह से हुई, ये मैं तुम्हें बताना जरूरी नही समझती ।लेकिन तुम्हारी शादी तीस साल की उम्र में हुई । लेकिन मैं बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम हो गयी और तुम मॉडर्न यंग लेडी। तो अब बताओ ;क्या ये उम्र हमारी तुमने या किसी और ने जोड़ी ,नहीं ना।"


मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ कि मेरे पति व्हीलचेयर पर हैं। और मैं सास बन गयी हूं। तो क्या मैं हमेशा इस बात से दुःखी या बिचारी बनकर घूमती फिरूं? या सास बन गयी तो उम्र का रोना लेकर सबके बीच सास बहू वाली चुगली करती रहूँ। मैं जियो और जीने दो में भरोसा रखती हूं। जिंदगी में दुःख सुख और जवानी बुढापा तो सबको आना है एक दिन फिर उसका अफसोस क्यों करना।

मैं तो मानती हूँ जो उम्र हम औरतों की अपनी होती ही नही उसे जोड़ना या घटना क्यों। क्योंकि मेरे लिए तो उम्र सिर्फ एक गणित का नम्बर मात्र है मेरा जीवन नही। इसलिए हमें उम्र और जवानी को लेकर कभी भी खुद पर घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि ये दोनों ही चल है अचल नहीं जो कभी बदलेगा नहीं। तो जो बदल जाए उसका कैसा घमंड करनाक्योंकि वो गाना है ना "हर घड़ी बदल रही है धूप जिंदगी"पीछे से अपनी सास के पास आकर मुस्कुराते हुए कहाहाँ माँजी और वो दूसरा वाला आपका पसंदीदा गाना,"कल खेल में हम हो ना हो गर्दिश में तारे रहेंगे सदा"

रोमा को आज कोई जवाब नही सूझ रहा था कि वो क्या जवाब दे। भावना जी की बातों को सुनकर आज उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। उसे समझ नही आ रहा था कि ये सच भावना जी को कैसे पता चला? और जब ये सच उनको पता थी तो उन्होंने पहले कभी क्यों नही कहा।

इधर रिया को आज अपनी सास पर गर्व हो रहा था। बिना किसी लड़ाई झगड़े के उन्होंने अपनी बात कितनी शालीनता से रख दी। और रोमा को मुँह तोड़ जवाब देकर उसका हमेशा हमेशा के लिए बन्द कर दिया।

भावना जी की बात सुनकर सब चुपचाप वहाँ से अपनी अपनी जगह चले गए। और वहाँ मौजूद सभी औरतें भावना जी के साथ मिलकर पार्टी एन्जॉय करने लगीं।



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