ये भेदभाव क्यो
ये भेदभाव क्यो
" साक्षी चल ना आज कहीं घूमने चलते हैं!" नियति ने अपनी रूम मेट और दोस्त से पूछा।
" अरे नियति एक सन्डे तो मिलता है आराम को !" साक्षी ने जवाब दिया।
" तो घूमने को भी तो सन्डे मिलता है चल ना जल्दी से तैयार हो जा इतने मैं भी होती हूं ....प्लीज प्लीज प्लीज !"नियति उसे चलने को मनाते हुए बोली।
" अच्छा अच्छा ठीक है चल रही हूं ज्यादा नौटंकी मत कर !" साक्षी हंसते हुए बोली और तैयार होने चल दी।
साक्षी और नियति दोनो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती है क्योंकि दोनो के घर वाले दिल्ली से दूर रहते है तो वो यहां हॉस्टल में कमरा लेकर रहती हैं साथ रहने के कारण दोनो में अच्छी दोस्ती हो गई है दोनो तैयार होकर बस अड्डे की तरफ निकलती हैं।
" भैया दो टिकट कनॉट प्लेस की देना !" बस में चढ़कर साक्षी कंडक्टर से बोली।
टिकट बांटने में व्यस्त कंडक्टर ने शायद उसकी बात नही सुनी और वो बाकी लोगों को टिकट देता रहा।
" भैया पहले मुझे टिकट दे दो कबसे खड़ी हूं आप बाद वालों को दिए जा रहे हो !" साक्षी इस बार थोड़ा झुंझलाते हुए बोली।
" अरे मैडम सब्र करो आप तो फ्री की सवारी हो पहले जो पैसे दे रहे उनको तो दे दूं !" कंडक्टर भी झुंझला कर बोला।
" क्या मतलब आपका फ्री की सवारी हो ...तमीज नही आपको बात करने की !" साक्षी गुस्से में बोली।
" पता नही ये सरकार लेडिजों को मुफ्त में बस सर्विस क्यों देती है इन फ्री की सवारियों के मिजाज भीफिर आसमान पर रहते है इन लेडीज के कारण हम पुरुषों से हमेशा भेदभाव होता कभी लेडीज फर्स्ट कभी लेडीज मुफ्त !" कंडक्टर व्यंग्य से बोला जिसे सुन बस की अन्य पुरुष सवारिया हंसने लगी। साक्षी के लिए ये अपमान सहना मुश्किल हो रहा था वो भी तब जबकि वो हमेशा टिकट लेती है।
" पहली बात आप तमीज से बात करो क्योंकि अगर सरकार ने बस महिलाओं के लिए मुफ्त की भी है तो इसमें हमारी गलती नही ...दूसरी बात मैं आपसे टिकट मांग रही वो भी पैसे के बदले क्योंकि मैने आजतक फ्री का सफर नही किया ...ना करना चाहती क्योंकि मैं पैसे देने में सक्षम हूं ...ये फ्री की टिकट या लेडीज फर्स्ट हमारे बनाए नही है तो आपको कोई हक नही हमारा या किसी भी महिला का अपमान करने का ...अगर फ्री की टिकट देते भी है आप तो अपनी जेब से नही....समझे आप अब पकड़िए पैसे मेरा स्टॉप आने वाला है ....और हां आइंदा से किसी भी महिला से ऐसे बात करने से पहले सौ बार सोचिएगा !" साक्षी गुस्से में बोली तो कंडक्टर उसका मुंह ताकने लगा और पूरी बस ताली बजा कर साक्षी की बात का समर्थन करने लगी।
दोस्तों महिलाओं को कोई सुविधा मिलती है तो बहुत से पुरुष महिलाओं को हीन समझ लेते जबकि सक्षम महिलाएं मुफ्त की सुविधा लेना भी नही चाहती फिर भी कुछ लोगों को भेदभाव करना ही है उनसे भले किसी भी तरह करे।
