यादों के पन्ने
यादों के पन्ने
यादों के पन्नों को उल्टा रहे रमेश को पिछले साल की स्मृतियाँ याद आ गयी एल्बम देखकर। उसने कॉलेज में स्टूडेंट ऑफ द ईयर अवार्ड जीता था! अब एक कारपोरेट एम्प्लोयी, कॉलेज और स्कूल के दिनों में उनका जीवन क्रिया और रोमांच से भरा हुआ था!
वह और सुखदेव स्टूडेंट ऑफ़ थे ईयर के पुरस्कार के दो प्रमुख दावेदार थे, एक ऐसा अवार्ड जो पढ़ाई के साथ-साथ खेल में उनके आलराउंड प्रदर्शन के लिए दिया जाता था।
सुखदेव और वह दोनों खेल और पढ़ाई दोनों में अच्छे थे। यह साइक्लिंग मैच था जो आखिरी में निर्णायक था। यह पचास किलोमीटर का साइक्लिंग मैच था, जिसमें प्रतिभागियों को पहाड़ी घाटी से होते हुए शहर की गलियों तक पहुंचना था और फिनिशिंग लाइन को क्लियर करना था। इसके लिए बहुत ताकत और सहनशक्ति और स्टामीना की आवश्यकता थी। महीनों के अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद, रमेश इस दौड़ को जीतने में सक्षम हो पाया था !!
इस दौड़ की यादों और उनकी ट्रॉफी उठाने की खुशी को, एल्बम मैं देख कर याद करते हुए शाम की चाय की चुस्की ले रहे थे रमेश बाबू !!
