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mona kapoor

Tragedy

3  

mona kapoor

Tragedy

यादें

यादें

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माँ...माँ यह हवाईजहाज कौन उड़ाता है ? यह इतनी ऊपर आसमान में कैसे पहुँच जाता है ? मैं भी तो अपना हवाईजहाज रिमोट कंट्रोल से उड़ाता हूं, फिर मेरा क्यों नहीं दूर तक उड़ता ? मुझे भी उड़ाना है हवाईजहाज...

रोहित की लगातार किये जाने वाले प्रश्नों का एक साथ जवाब देना सुधा के लिए मुश्किल हो जाता था लेकिन वो बड़े ही प्यार से व संयम रखते हुए बोली..”मेरे बच्चे रोहित ये जो आसमान में हवाईजहाज उड़ता है ना यह असली का हवाईजहाज होता है जिसे उड़ाना आसान नहीं होता, इन्हें पायलट अंकल उड़ाते हैं और लोगो को आसमान की सैर कराते हैं।”

“मुझे भी सीखना है माँ, प्लीज...प्लीज मुझे भी सीखा दो ना..फिर मैं भी दूर आसमान तक जाऊँगा और आपको और पापा को भी ले जाकर सैर कराऊँगा।”

रोहित की यह प्यारी प्यारी बातें सुनकर सुधा उसे गले से लगाकर बोली “अरे ! पगले, अभी तो तू बहुत छोटा है रे ! पहले बड़ा तो हो फिर बन जाइयो पायलट और खूब ऊँचा उड़ियो। वैसे एक बात बता दूँ तुझे, कोई आसान काम नहीं है हवाईजहाज उड़ाना।

“लेकिन माँ, तुम ही तो सिखाती हो ना कि अगर मन मे कुछ सीखने और करने की चाह हो तो कुछ मुश्किल नहीं..इसीलिए मैं जरूर कर दिखाऊंगा। अपने बच्चे की बातें सुनकर सुधा की आंखों से आंसू छलक पड़े और उसे प्यार से चूमने लगी कि तभी रसोईघर में गिरे बर्तन की आवाज से सुधा अतीत की यादों से निकलकर वर्तमान में आगयी थी जहां रोहित के पायलट बन कर हवाईजहाज उड़ाते हुए आसमान को छूने के सपने को पूरा करते हुए एक दिन अचानक हुए प्लेन क्रैश मे रोहित के जाने के बाद उसकी फ़ोटो के रूप में कुछ यादें और भीगी पलकों के सिवाय कुछ नहीं था और सामने खेलता हुआ छोटा रोहित जो कि बार बार अपनी दादी की साड़ी का पल्लू खींचकर बस यही बोल रहा था कि “देखो ना दादी मेरा एरोप्लेन आसमान तक क्यों नहीं उड़ता जैसे मेरे पापा उड़ाते थे।” 


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