यादें ,साल 2020
यादें ,साल 2020
यादें ,साल 2020
(संस्मरण)
साल 2020 अब विदा हो चुका है। नववर्ष का स्वागत भी हो चुका है। मन में एक ही विचार लेकर आगे बढ़े थे कि 2021 तो अच्छा ही बीतेगा। करोना को हमने जीत ही लिया था। पर, अब जो हालात फिर से बिगड़ते जा रहे हैं। अब तो यही लग रहा है कि अभी हमें कुछ महीने और संघर्ष करना पड़ेगा। करोना को देश से भगाने के लिए एक बार फिर से सब को एकजुट होकर इसके विरुद्ध अभियान शुरू करना पड़ेगा। अब जो हालात हैं इतना आसान नहीं है करोना को देश से निकालना। शुक्र है जो फिर से लाकडाऊन का नियम लागू हुआ। वैसे इतना मुश्किल भी नहीं था इस कहर पर पार पाना , लेकिन कुछ लोगों की बेवकूफियाँ हमें यहाँ तक ले आई हैं। कुछ केसिस तो चलो फिर भी उमर या बीमारी को मान सकते हैं, लेकिन इतना ज्यादा एकदम से फैलना तो, मैं इसे हमारी बेवकूफी कहूँगी। लेकिन अब केवल एक ही चीज रह गई है जो हम इस जंग को जीत सकते हैं वह है मन की सकारात्मकता। मन में अगर हम अपनी सोच को सकारात्मक बनाकर हर हाल में प्रसन्न रह कर आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे तो करोना तो क्या कोई भी वायरस हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। माना कि दौर कठिन है पर हम इसे जीत सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। सबसे जरूरी मास्क लगाना व दूरी बना कर रहना। हाथ धोना ,साईनेटाइजर प्रयोग करना ,शायद अब बताने की आवश्यकता नहीं। हर समझदार व्यक्ति इसका आदि हो चुका है। एक सबसे महत्वपूर्ण बात- वैक्सीन जरूर लगवाएँ। दूसरों पर तोहमत लगाने से बेहतर है स्वयं में सुधार लाना।
जहाँ एक ओर 2020 की यादों में मन खो जाता है , वहीं बहुत कुछ ऐसा भी हुआ कि मन हर्षित भी हुआ। मैं एक शिक्षिका हूँ , छठी से दसवीं तक हिंदी पढ़ाती हूँ। अप्रैल से आनलाइन लाइन कक्षाएँ ले रही हूँ। सबसे बड़ी व खुशी की बात , मैं टैक्नोसेवी बन गई। मुझे और मेरे छात्रों को बहुत सी साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। हमारे छह साँझे संग्रह व इ-बुक आईं। करोना ने दूरियाँ बढ़ाई ,पर फोन ने और पास ला दिया। सबसे बड़ी खुशी कि पूरा परिवार साथ और सब सुरक्षित। सुपर वुमैन की तरह आजकल काम करना, आदत बन गई है। सृजन के शौक ने कभी मायूस नहीं होने दिया। एक सकारात्मक सोच के साथ ,सबके साथ मिल बाँट कठिन दौर निकाल दिया। अगले कुछ महीने भी इसी तरह से कट जाएंगे। अब तो प्रभु से यही प्रार्थना है कि हमारा देश करोना मुक्त हो जाए और करोना की याद भी कभी न आए।