मुझे मां की कहानी के उस फकीर का अब तक इन्तजार है। मुझे मां की कहानी के उस फकीर का अब तक इन्तजार है।
दूसरों पर तोहमत लगाने से बेहतर है स्वयं में सुधार लाना। दूसरों पर तोहमत लगाने से बेहतर है स्वयं में सुधार लाना।
जिसका न कोई इलाज न वैक्सीन! लोग भुगतते रहे, मरते रहे. फिर भी आपके सम्मान में भारत में पूरे छह महीने ... जिसका न कोई इलाज न वैक्सीन! लोग भुगतते रहे, मरते रहे. फिर भी आपके सम्मान में भार...
एक दैहिक रूप से तो दूसरा आत्मिक रूप से, एक शरीर पर वार करता है एक दैहिक रूप से तो दूसरा आत्मिक रूप से, एक शरीर पर वार करता है