व्यवधान यात्रा
व्यवधान यात्रा
सुना है कि पलटीमार जी एक बार फिर से यात्रा पर निकले हुए हैं। पलटीमार जी ने पलटी मारने का विश्व रिकॉर्ड बना रखा है। अब तो शायद वे पलटी मारने का शतक लगाने वाले हैं। उनके बार बार पलटी मारने के कारण लोग उन्हें पलटीमार कहने लगे हैं।
इस देश में यात्रा करने का बड़ा शौक है लोगों को। तीर्थ यात्रा पर तो हर कोई जाना चाहता ही है परन्तु पुरुषों को "ससुराल यात्रा" करने में जो आनंद आता है वैसा आनंद किसी को भी अन्य किसी भी यात्रा में नहीं आता है। जिनके ससुराल ही नहीं हो तो वो बेचारे "भारत जोड़ो" या अन्य यात्रा करते रहते हैं।
आजकल एक सूबे में दो दो यात्राऐं निकाली जा रही हैं। यात्राओं की बढती मांग को ध्यान में रखते हुए हम वित्त मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहते हैं कि क्यों न वे "यात्रा कर" नामक नया कर लगा दें। इस कर से सरकार को बहुत सारा धन भी मिल जायेगा और इन बेवजह की यात्राओं से जनता को कुछ निजात भी मिल जायेगी।
तो भारत के सबसे बुद्धिमान माने जाने वाले सूबे में दो दो यात्राऐं चल रही हैं। इसी सूबे से "संपूर्ण क्रांति" का बिगुल फूंका गया था। यहां पर समाजवाद के लिए संघर्ष किया गया था। वही सूबा आज सबसे अधिक जातिवादी राजनीति का शिकार है। पिछड़ों की राजनीति करने वाले पिछड़ों के "मसीहा" समझे जाने वाले दो नेताओं का इस सूबे पर पिछले 30-32 सालों से कब्जा रहा है और इस अवधि में यह सूबा और अधिक पिछड़ा हो गया है। पिछड़ी जातियां भी और पिछड़ी हो गई हैं। पिछड़ों की राजनीति करने वालों ने कसम खा रखी है कि जब तक वे इस सूबे का सत्यानाश नहीं कर देंगे तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। अपने मकसद में शीघ्र कामयाब होने के लिए दोनों पिछड़े नेता अब लामबंद हो गये हैं तो समझिये कि अब इसके पिछड़ने की गति में बेतहाशा वृद्धि होने की संभावना है। अब ये जनता पर निर्भर करता है कि वे अगर अगले चुनावों में भी इन पर विश्वास व्यक्त करे तो अगले पांच सात सालों में सूबे का पूर्णत : बंटाधार हो सकता है।
दो में से एक यात्रा तो पी के निकाल रहे हैं। वैसे भी उस सूबे में "पीने" पर रोक लगा रखी है पर उपलब्ध सब जगह है। शायद इसीलिए पी के निकाल रहे होंगे यात्रा। तभी तो अभी थोड़े दिन पहले हुए एक शराब हादसे में सौ से अधिक जानें चली गई थीं पर जनता का क्या है , वह तो पैदा ही मरने के लिए हुई है। और फिर "शमशान यात्रा" को तो सर्वश्रेष्ठ यात्रा माना गया है। सौ आदमियों ने यह यात्रा एक साथ की है यह तो उस राज्य के यात्रा प्रबंधन कौशल की दक्षता का परिचायक ही है। इससे अगर बाकी राज्य ईर्ष्या करें तो इसमें कोई क्या कर सकता है ? पी के साहब परिवर्तन यात्रा निकाल रहे हैं। उन्हें आज तक यह समझ में नहीं आया कि जो राज्य "नौंवी फेल" को मुख्य मंत्री बनाना चाहता है उस राज्य में कोई परिवर्तन हो सकता है क्या ? फिर भी बंदा परिवर्तन यात्रा पर निकला है , उसके कॉन्फिडेंस की दाद तो बनती है।
इधर पलटीमार जी भी यात्रा पर निकले हैं। यात्रा का नाम रखा है "व्यवधान यात्रा"। कुछ लोग इसे "समाधान यात्रा" भी कह रहे हैं। जो व्यक्ति पिछले 17 वर्षों से मुख्य मंत्री बना बैठा हो , वही अगर अब "समाधान यात्रा" निकाले तो उस राज्य की समस्याओं का समाधान कौन करेगा ? इसलिए लोगों ने इस यात्रा का नाम "व्यवधान यात्रा" कर दिया है। वस्तुत: यह यात्रा यह बताने के लिए की जा रही है कि देखो हमने इन 17 वर्षों में सुशासन , शिक्षा , रोजगार , कानून व्यवस्था, नारी स्वतन्त्रता में कितने व्यवधान पैदा किये हैं ? हम अभी भी कुर्सी से चिपके हुए हैं जबकि जनता में हमारी अब कुछ पैठ नहीं है। अगर हमें फिर से चुनोगे तो सूबे को देश का सबसे पिछड़ा सूबा बना देंगे। इसमें हमें कोई व्यवधान मंजूर नहीं है।
सूबे में जातीय जनगणना करवाकर यह सिद्ध किया जा रहा है कि हमारी सोच , हमारे विचार , हमारे कार्य केवल जाति व्यवस्था तक ही सीमित हैं, इससे आगे नहीं हैं। पलटीमार घूम घूम कर यही संदेश दे रहे हैं फिर भी अगर जनता उन्हें और "नौवीं फेल" अर्थशास्त्री को चुने तो फिर दोष मत देना। हम तो यही चाहते हैं कि पलटीमार जी नित नये रिकॉर्ड बनाते रहें। भगवान जनता को सद्बुद्धि दें।