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Chandra prabha Kumar

Comedy

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Chandra prabha Kumar

Comedy

वस्तु का मोह

वस्तु का मोह

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स्मृति भी क्या है, बैठे बिठाये कब कौन बात याद आ जाती है, पता नहीं चलता। हमारे देवर शौक़ीन मिज़ाज थे और उनको नई नई चीज़ों का शौक़ था।उनकी बात याद कर अभी भी हँसी आ जाती है। 

हमारी शादी में इनको सुसराल से रिस्ट वॉच मिली थी ,जो देवर को पसंद आ गयी और उन्होंने उसको ले ली। इन्होंने भी उसे ख़ुशी से दे दे और अपनी पुरानी सिटीज़न वॉच ही बॉंधते रहे। हमारे ससुर साहब ने इनको अपनी फ़िएट कार दी थी घूमने के लिए। पर देवर जी बोले कि भैया कार कुछ दिनों के लिए मुझे दे दीजिए मैं अपने दोस्तों को दिखाऊंगा। हमने कार उनको दे दी। 

इनको फोटोग्रॉफी का शौक था और बढ़िया सा कैमरा इनके पास था। सोचा था कि इधर उधर घूमने जाएंगे तो फ़ोटो खींचेंगे। पर यह सपना भी कहॉं पूरा होने वाला था। देवर जी ने कैमरा देखा तो ख़ुश होकर कैमरा माँग लिया कि कुछ दिन बाद लौटा देंगे। 

देवर जी के हॉस्टल में छुट्टियॉं हुईं तो कुछ दिन के लिए छुट्टी बिताने हमारे पास आ गए। नहाधोकर जब वह बाथरूम से बाहर निकले तो मेरी ड्रेसिंग टेबल पर आकर बाल ठीक करने लगे। वहॉं उन्हें एक सुन्दर सी शीशी दिखाई थी, तो तेल समझ कर उसे थोड़ा सा अपने सिर में लगा लिया। सिर में झाग उठ गए। तो मेरे से पूछने लगे कि आपका यह कौन सा तेल है, और कैसा तेल है। 

उन्हें देखकर हम लोगों को हँसी आ गई। मैंने कहा कि आपने तो शैम्पू लगा लिया, यह तेल नहीं है। इस पर वह शर्मिंदा हुए और दुबारा जाकर सिर धोकर आए। 

उनके हड़बड़ियापन पर हमको बहुत हँसी आयी। उनसे कहा कि जल्दबाज़ी में कोई काम न करें और देखभाल कर सोच समझकर करें। हर चीज़ जो जैसी दिखती है वैसी नहीं होती। हर काम शांत मन से परखने के बाद ही करना चाहिए।


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