वृक्षारोपण
वृक्षारोपण
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपा रखा था। चारों ओर अफरा तफरी मच रही थी। ना तो ऑक्सीजन मिल रही थी और ना ही दवाइयां। लोग धड़ाधड़ मर रहे थे। मीडिया में कोहराम मच रहा था। न्याय के मंदिरों से लताड़ की ध्वनि गूंज रही थी। बड़े विकट हालात थे।
ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात सरकार कर रही थी। मुख्य सचिव मीटिंग ले रहे थे। उद्योग सचिव को हिदायतें दी जा रही थी। स्वास्थ्य सचिव परेशान हुए जा रहे थे और वन एवं पर्यावरण सचिव बेचैनी से पहलू बदल रहे थे।
स्वास्थ्य सचिव ने हर शहर में कम से कम एक एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात कही तो उद्योग सचिव ने कहा "एक.से क्या होगा बड़े शहरों में ? ऐसा करते हैं सर, कि प्रत्येक शहर में कम से कम एक और बड़े शहरों में जनसंख्या के अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट लगा देंगे"।
बात मुख्य सचिव के मन को भा गई। स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि एक ऑक्सीजन प्लांट कितनी जनसंख्या के लिये पर्याप्त रहेगा " ?
"सर, एक प्लांट 5 लाख तक की जनसंख्या के लिए है। इसके अनुसार बड़े शहरों को ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किये जा सकते हैं"।
"ठीक है। प्रस्ताव बनाकर तुरंत प्रस्तुत करो जिससे उसे कैबिनेट से पास करवाया जा सके"। मुख्य सचिव ने कहा
वन और पर्यावरण सचिव बहुत देर से यह सब बातें सुन रहे थे। उनको लगा कि बात ऑक्सीजन की हो रही है और उन्हें कोई पूछ ही नहीं रहा है। सारा बजट स्वास्थ्य और उद्योग विभाग ही ले जा रहे हैं। वे दोनों ही मलाई खायेंगे। हमारे हिस्से में क्या आयेगा ? सूखी रोटी भी नहीं ? ऑक्सीजन देने वाला विभाग "बिना ऑक्सीजन" के मर नहीं जायेगा ?
मुख्य सचिव को संबोधित कर उन्होंने कहा " सर, ऑक्सीजन प्लांट तो नकली ऑक्सीजन बनाते हैं। असली ऑक्सीजन बनाने का काम तो वृक्ष ही करते हैं। इसलिए नकली ऑक्सीजन के बजाय असली ऑक्सीजन के प्लांट यानी वृक्ष लगवाइये। वृक्षारोपण से सबको ऑक्सीजन मिलती है सर। जनता को , वन विभाग को , पंचायती राज विभाग और शहरी विकास विभाग को। राजनीतिक दलों, ठेकेदारों सबको। अगर वृक्ष लगेंगे तो कमीशन आयेगा जो सबमें बंटेगा और सब उस कमीशन रूपी ऑक्सीजन से जिंदा रहेंगे। नहीं तो बिना "ऑक्सीजन" के सब मर ही जायेंगे। इसलिए थोड़ा सा बजट उद्योग विभाग को और ज्यादा बजट वन विभाग को मिलना चाहिए"।
बात मुख्य सचिव को जम गई। पेड़ लगेंगे तो सबको "ऑक्सीजन" मिलेगी। ऑक्सीजन से सब लोग जीवित रहेंगे नहीं तो कैसे सर्वाइव करेंगे ?
मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को समझा दिया कि वृक्षारोपण का क्या महत्व है। ठेकेदार उनकी पार्टी को भी तो चंदा देते हैं। अगर पेड़ नहीं लगेंगे तो ठेकेदार बेरोजगार हो जाएंगे और अगर ठेकेदार बेरोजगार हो जायेंगे तो फिर पार्टी को चंदा कौन देगा ? चंदा तो पार्टी के लिए ऑक्सीजन का काम करता है। बिना चंदा के पार्टी भी खत्म हो जायेगी। इस प्रकार सबको वृक्षारोपण का महत्व समझ में आ गया और 90% बजट वृक्षारोपण के लिये दे दिया गया। शेष ऑक्सीजन प्लांट लगवाने के लिए दिया गया।
वृक्षारोपण से जुड़े हर व्यक्ति के घर में दीवाली मन रही थी। उनकी "ऑक्सीजन" की व्यवस्था हो गई थी। बाकी जियें या मरें उनकी बला से।
