वो सुबह कभी तो आएगी....
वो सुबह कभी तो आएगी....
रात का वक्त था और 31दिसम्बर की पार्टी के लिए हमारी कार धुंध को चीरती हुई दौड़ रही थी।अचानक रेड लाइट हुई और कार दनदनाते हुए रुक गयी। बाहर ध्यान से देखा तो कुछ लोग रेड लाइट के आसपास की जगह पर कड़कती ठंड में जैसे तैसे सोते हुए नजर आए।कार में पार्टी के लिए ढेर सारा सामान रखा था,और हम सब पार्टी के लिए महंगे महंगे गरम कपड़े पहने हुए थे।सब कुछ पल भर में बदल सा गया।नए साल की आनेवाली पहली सुबह की तैयारियां बाहर ठंड में सोए हुए लोगों को देखकर एकदम बेमानी सी लगने लगी।फटाफट कार का दरवाजा खोलकर हम सारे दोस्त बाहर निकल कर वहाँ का हाल देखा।सब कहने लगे," कल हम सब सुबह 9 बजे यहाँ आकर कुछ करते है,इनसे बात करके समझ लेते है और कल ही कंबल, दवाइयां और भी कुछ जरूरी चीजें इनको बाँटते है।हम नया साल इनकी खुशियों के साथ ही मनाते है।"सब दोस्तों ने हामी भरी।ट्रैफिक लाइट ग्रीन हुई और हम आगे बढे, एक नयी आशा और उम्मीद के साथ.....
एफ एम पर गाना बज रहा था। शायद उसने भी जैसे हामी भरी......
वो सुबह कभी तो आएगी....वो सुबह कभी तो आएगी....