वो पहला प्यार
वो पहला प्यार
नादान दिल मचल जाता है। एक नजर भर उनको देखने को तरस जाता है। कैसे करूं हाले बयां दिल की, रात यूं ही करवटों में गुजर जाता है। यह दिल भी बड़ा बेईमान होता है... कभी किसी पर, कभी किसी पर... आने को मचल जाता है। कब किसी का हो जाता है, पता ही नहीं चलता। हां तभी तो अश्विनी को पता ही ना चला... कब ट्रेन के सफर में रोज आते-जाते उसे उसके ही सफर के साथी से प्यार हो गया था।
इंतजार एक दूसरे का करने लगे थे, पर लफ्ज़ ना खुलते थे साथ आगे पीछे चलते, पर बात न करते थे। मौन पसरी रहती थी... रोज का आना.... रोज का जाना साथ होता था। इंतजार आंखों में बस नजर आता था, बेचैनी भी झलकती थी... साफ चेहरे पर... चिंता की लकीरें भी माथे पर... आ जाती थी। पर लब नहीं खुलतें थे। मौन... बस... मौन वह भी... मैं भी... और सालों गुजर गए साथ आते-जाते।
एक दिन अचानक नहीं आयी, महीने फिर साल गुजर गए... इंतजार में लेकिन वो ना आयी फिर कभी इस ट्रेन में। रोज कर रहा था दिल इंतजार उसका सालों गुजर गए पता भी न चला। नौकरी भी लग गई शादी भी हो गई बच्चे के पापा भी बन गए। दिल में एक आवाज अब भी आती थी...कहां होगी वह? क्या याद करती होगी मुझे? यही सवाल बार-बार जेहन में आ ही जाता था पल भर ही सही दिल में उसकी याद... न चाहकर भी एक छाप आज भी छोड़ ही...जाता था।
एक दिन अचानक ऑफिस से आते... वो नजर आयी स्टेशन पर मुझे देख एक टक देखती रह गई... मैं भी उसे देखता रह गया।
चेहरा उसका दमक रहा था... सिंदूर सर पर चमक रहा था... वह भी किसी और की हो गई थी और मैं भी किसी और का हो गया था। न वो कुछ बोली ना मैं कुछ बोला, ट्रेन अपने रफ्तार में दौड़ रही थी, आज भी वह मौन उतर गई... मैं भी मौन उतर गया... अपने अपने रास्ते दिल को समझा कर बुझा कर... फिर से मौन रह गया।
प्यार का पहला एहसास सबसे रोमांचक एहसास होता है। प्यार का एहसास आप को बदल कर रख देता है। सारी दुनिया बदल जाती है। हर दिन हर पल खुशी से चेहरा दमकता रहता है। प्यार एक नशा है। इसके चढ़ते ही चारों तरफ एक ही चीज दिखाई देती है, बस उसका चेहरा... और मेरे साथ भी यही हुआ था। यह पहला प्यार था जिसे मैं कभी नहीं भूल पाया आज भी मैं यही हूं वह भी यहीं है एक ही शहर में... सालों में क्या हुआ? वह कहां गई? क्यों गई?मैं पूछ नहीं पाया, हक नहीं था... ना उसने दिया ना... मैंने लिया था। बस एक एहसास प्यार का था जो हम दोनों को एक दूसरे से बांध दिया था। पहला प्यार पहला एहसास उसने मुझे कराया था। हां मौन प्यार था हमारा। मौन ही सही वह भी मौन... मैं भी मौन...। था तो बस एक एहसास.... एक डोर... प्यार का।
सचमुच प्यार के कई रूप हैं, कोई नहीं समझ सकता प्यार तो बस प्यार होता है। मौन पर हाँ सच्चा प्यार था हमारा। बिना बंदिश, बिना किसी शर्त के मौन प्यार सच्चा प्यार। आपको भी कभी हुआ है ऐसा प्यार... मानो या न मानो पहला प्यार कभी भुल नहीं सकते हम।