वो बूढ़ी औरत….

वो बूढ़ी औरत….

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रोज सुबह ड्यूटी पे जाना रोज शाम लौट के रूम पे आना, ये रूटीन सा बन गया था, मोहन के लिये।

हालाँकि रूम से फैक्ट्री ज़्यादा दूर नहीं था, तकरीबन१०-१५ मिनट का रास्ता है। मोहन उत्तर प्रदेश का रहने वाला है, करीब २ सालों से यहाँ (नोएडा) में एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम कर रहा है। रोज सुबह ड्यूटी पे जाना, शाम को लौट के कमरे पे आना ऐसे ही चल रहा था।

एक शाम जब मोहन ड्यूटी से ऑफ हो के जैसे ही फैक्ट्री से निकला कमरे पे जाने को, देखा बाहर तो जोरों की बारिश लगी हुई है। १०-१५ मिनट इंतजार करने के बावजूद भी जब बारिश न रुकी तो मोहन दौड़ता हुआ कमरे पे जाने लगा ! तभी उसकी नज़र सड़क के किनारे एक छोटी सी पान की दुकान पे पड़ी, दुकान बंद हो चुकी थी और उसी दुकान से चिपक के एक बूढ़ी औरत बारिश से बचने के लिये खड़ी थी। फिर भी वो भीग रही थी और ठंड से काँप रही थी क्योंकि बारिश के साथ-साथ ठंडी हवा भी चल रही थी। न जाने मोहन के दिमाग़ मे क्या ख्याल आया, वो रुका और उस दुकान की तरफ बढ़ने लगा। मोहन ने उस औरत से पूछा- माँ जी कौन हो आप और इतनी बारिश में यहाँ क्या कर रही हो।

उस बूढ़ी औरत ने कहा- बेटा,मेरा बेटा और मेरी बहू यहीं रहते हैं, इसी शहर में, शादी के बाद जब से बहू को लेके यहाँ आया तब से न ही गाँव में हम से मिलने आया न ही कोई खबर दी। एकलौता बेटा है मेरा वो, दिल कर रहा था उसे देखने को इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाई और उससे मिलने चली आई। जब उसकी शादी नहीं हुई थी, तब मैं अपने बेटे के साथ एक बार पहले भी आई थी यहाँ। वही लेकर आया था मुझे, कहता था माँ खाना बनाने मे दिक्कत होती है, चल तू मेरे साथ ही रहना।

फ़ोन भी की थी मैंने उसको, कि बेटा मैं आ रही हूँ वहाँ तुम्हारे पास। जब मैं वहाँ पहुँची जहाँ वो रहता है, तो देखा कमरे में ताला लगा हुआ है। लोगों से पूछने पर पता चला कि वो बहू को लेकर उसके मायके गया है,बहू की माँ की तबीयत खराब है उसे ही देखने गया है और बेटा…. जब अपना बेटा ही अपने कमरे में ताला लगा गया है,तो फिर ये अंजान लोग क्या पनाह देंगे मुझे…..।

इतना सुनते ही मोहन के मुँह से अनायास ही निकल पड़ा…..कैसा बेटा है अपनी माँ को इस हालत में छोड़ सास को देखने गया है। फिर मोहन उस बूढ़ी औरत से बोला…माँजी पास में ही मेरा कमरा है, चलो आप वहीं रह लेना जब तक आप के बेटे और बहू नहीं आ जाते।


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