Sanjay Aswal

Drama

5.0  

Sanjay Aswal

Drama

वो बड़ी जो हो गई, मास्टर जी

वो बड़ी जो हो गई, मास्टर जी

4 mins
323


इकरा आज फिर स्कूल नहीं आई, वो काफी दिनों से स्कूल से गायब रहने लगी है कक्षा पांच की होनहार, मेहनती अनुशासित छात्रा है वो और मेरी फेवरेट स्टूडेंट, वैसे अपने व्यवहार से उसने सभी शिक्षकों का दिल जीत लिया है सभी कक्षाओं के विद्यार्थी भी उसे सम्मान कि दृष्टि से देखते हैं हर प्रतियोगिता कि विजेता वो ही रहती, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर खुद भी भाग लेती और दूसरे छात्राओं को भी प्रेरित करती, स्कूल की जान थी वो, पर अब स्कूल में उसके ना होने से एक खालीपन सा महसूस किया मैंने एक शिक्षक होने के नाते और उसके कक्षा अध्यापक होने के भी।

अक्सर बाकी विद्यार्थी उसकी चर्चा करते जब भी कोई प्रतियोगिता होने होती या पेपर के समय, उसके स्कूल में आने से धीरे धीरे ही सही गांव की और लड़कियों ने भी प्रवेश लेना शुरू कर दिया था।वो जिस परिवेश से आती है वहां लड़कियों का ज्यादा पढ़ना उचित नहीं समझा जाता, लोग पढ़ाई के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं है ना ही उन्हें इसमें कोई रुचि है वो तो खुद छोटे मोटे धंधे कर के, दूसरों के खेतों में काम करके, बुगियों से रेत बेच कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है और ऐसे में अगर बच्चे पढ़े वो भी लड़कियां तो रूढ़ि वादी समाज क्या कह दे क्यूं समाज से बैर लेना, वो उसी में खुश हैं, जो चल रहा है, एक छोटे कुंए के मेंढ़क बन कर, जागरूकता ना होने से उन सभी के ज्यादा बच्चे भी हैं।किसी के सात तो किसी के आठ, नौ और सभी को छोटे मोटे धंधे में लगा कर कुछ पैसे मिल जाए तो क्या बुरा, ऐसे में पढ़ लिख कर कौन सा किसी को डाक्टर इंजीनियर बनना है, और लड़कियों को ज्यादा पढ़ा कर उनके ब्याह में जो दिक्कत होगी वो कौन देखेगा, कौन पढ़ी लिखी लड़की से ब्याह करेगा, इसी सोच के कारण समाज पिछड़ रहा है या आगे बढ़ने को तैयार भी नहीं, लड़कियां घर में चौका बर्तन झाड़ू पोंछा करे, अपने छोटे भाई बहनों को संभाले ये काम कम है क्या? मगर इकरा की मां ने थोड़ी हिम्मत दिखाई , समाज से लड़ झगड कर उसे पढ़ने भेजा तो समाज ने उसे बहुत भला बुरा कहा, ताने दिए डर , दिखाया मगर मां की हिम्मत के आगे सब पस्त हो गए थे।

इकरा ने भी मां का मान रखा और मन लगा कर पढ़ाई की और हर कक्षा में अव्वल आने लगी, और कक्षा पांच में पहुंच गई, कक्षा पांच में पहुंचना इस गांव में बहुत बड़ी बात समझी जाती थी वो भी उस गांव में जहां या तो बेटियों को घरों में कैद रखा जाता है या छोटी उम्र में उनको ब्याह दिया जाता है। जहां हर दम डर बना रहता है कब जाने कौन बेटी को भगा ले जाए मगर इकरा अलग ही मिट्टी की बनी थी उसने सब कुरुतियों से आगे निकलने की सोची और पढ़ने लगी, मगर कई दिनों से स्कूल नहीं आने से जब मैंने ये जानने उसकी मां को फोन करके इकरा के स्कूल ना आने का कारण जानना चाह तो थोड़ी निराशा हाथ लगी और डर भी कि कहीं समाज के दवाब से वो और उसकी मां झुक ना गए हों।जब काफी समय बीत गया तो एक शिक्षक होने के नाते मै उसके घर चला गया तो ये जान कर बहुत दुखी हुआ कि वो अब आगे नहीं पढ़ पाएगी "क्यूं की वो अब बड़ी हो गई मास्टर जी"!

ये जवाब मुझे उसकी मां से मिला, मैंने उन्हें बहुत समझाया मगर वो यही कहती कि हमें तो इन लोगो के बीच ही रहना है मास्टर जी, कोशिश बहुत की मगर अब मै हार गई हूं इसलिए अब वो स्कूल नहीं आएगी, इकरा से भी मैंने बात की तो वो भी यही बोली कि मास्टर जी मै पढ़ना चाहती हूं पर जब गांव के लोग मुझे और मेरी मां को ताने देते भला बुरा कहते, कुछ तो गांव से बेदखल करने की धमकी भी देते तो ऐसे में पढ़ पाना संभव नहीं, शायद यही मेरी किस्मत में है मेरे परिवार के लिए भी यही अच्छा है कि हम वही करे जो हमारी बिरादरी कह रही है, बिरादरी से बाहर जाकर हम कैसे रह पाएंगे, इकरा की ये बात सुनकर मन बहुत दुखी हुआ एक प्रतिभावान छात्रा का अंत इस तरह होगा सोचा नहीं था।वो आगे पढें अपने समाज को एक नई दिशा दे, दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणस्रोत बने मगर ये सब धूमिल हो गया, समाज के दवाब में अपने बच्चों की इच्छाओं का दमन इस निर्दयता से कर दिया जाता है ये सोच कर मन बैठ जाता है समाज की इस कुत्सित मानसिकता, रूढ़िवादी सोच को सुन कर देख कर मन घृणा से भर जाता और मन में एक सवाल उभर कर आता है क्या एक दस ग्यारह साल की लड़की को शिक्षा से इसलिए वंचित कर दिया जाए कि वो समाज के नियम विरूद्ध अपने और अपने परिवार के लिए आगे बढ़ने के लिए पढ़ना चाहती शिक्षित होना चाहती है तो क्या वो सच में बड़ी हो गई या समाज छोटा हो गया ?


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama