वजूद
वजूद
एक अच्छे भले इंसान को अपना वजूद तक छोड़ना पड़ता है जब वो ईर्ष्या का शिकार हो जाता है।
कोई इंसान किसी से थोड़ा ऊंचा क्या हो जाए पूरी कायनात उससे जलने लगती है।
ये मेरे साथ हुआ था जब मैं गांव में एक इज्जत और सम्मान से नवाजा गया एक सुशील स्टूडेंट था।
तो थोड़ा घमंड होना स्वभाविक था।
हाफ ईयरली एग्जाम पूरे हो चुके थे और छुट्टी पूरी होने के बाद आज विद्यालय में रिजल्ट सुनना था।
रिजल्ट सुनाया जो मेरी उम्मीद के प्रतिकूल था।
एक हमारे ही गांव की एक टैलेंट स्टूडेंट जो कि लड़की थी हाफ ईयरली एग्जाम में मेरे से अधिक अंक प्राप्त किए।
अब जाहिर था कि जब पूरे विद्यालय के सामने जब आपसे लगाई गई उम्मीदों पर पानी फिर जाता है तो आपको ईर्ष्या का सामना करना पड़ता है।
मुझे उस लड़की से ईर्ष्या हो गई और मैं उसे अपना दुश्मन समझने लगा।
और मेरा स्वभाव इतना बदल गया कि कोई भी अगर मुझे बतला भी ले तो वो मेरे गुस्से का शिकार होगा।
मेरे इस स्वभाव के बाद स्टाफ में कुछ बात हुई जिसका मुझे बहुत दिनों पता चला।
कुछ दिनों के बाद मुझे पूरे विद्यालय के सामने कहा गया कि,
"शिशपाल चिनियां किसी से ईर्ष्या करने से आप किसी के दिल को नहीं जीत सकते हो तो हम आपसे गुजारिश करते हैं कि आप अपना पुराना हंसमुख स्वभाव के साथ अपनी उम्मीदों पर बेहतर समय दे।"
ये कहने वाले मेरे विद्यालय के प्रधानाचार्य सर थे जो मुझे बुलाकर कहा कि -
"शिशपाल अपने आपको समय देना सीखो आज उस बच्ची ने तुमसे अधिक अंक प्राप्त किए हैं इसका कारण है उसने अपने लिए समय निकाला है।"
उस दिन के बाद मैंने अपने आपको कभी ईर्ष्या का शिकार नहीं होने दिया।