"विवाह विच्छेद दर्द"
"विवाह विच्छेद दर्द"
हिन्दू संस्कृति में विवाह दो स्त्री पुरुष के बीच समन्वय स्थापित कर आरामदायक जिन्दगी जीने के लिए हैं।
यह परिवार के वंश वृद्धि के लिए भी ज़रूरी हैं।
कभी किसी पति पत्नी एक से कोई ग़लत व्यवहार हों जायें।
तो सोच विचार कर एक दूसरे को माफ़ कर देना चाहिए।
छोटी छोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाना ही बेहतर हैं।
पति-पत्नी के बीच में तीसरे पक्ष का कोई हस्तक्षेप कभी स्वीकार्य नहीं हों।
कभी भी पति-पत्नी सम्बन्ध विच्छेद जैसा घातक निर्णय नहीं लिया जाए।
यह दोनों परिवारों को झकझोरने वाला निर्णय होता हैं।
माता-पिता के ग़लत निर्णय का बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ता हैं।
जहां तक हो सके पति-पत्नी सम्बन्ध विच्छेद नहीं होंना चाहिए।
पति पत्नी से छोटी बड़ी गलती हो जाने पर
उसमें समझौता हो जाना चाहिए।
माता-पिता अपने बच्चों का कभी भविष्य ख़राब नहीं करें।
क्योंकि माता-पिता कि जिन्दगी के साथ
बच्चों का भविष्य भी जुड़ा हुआ होता हैं।
पारिवारिक जीवन में सफलता हासिल करने के
लिए कुछ त्याग करना भी तो ज़रूरी होता हैं।जय हिन्द