विकास

विकास

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राम नाम सत्य है .... सत्य बोल गत है .....

"यार कमलेश.. ये विजय बाबू को अचानक क्या हो गया अभी परसों ही तो मिले थे ऑफिस से आते हुए, बिल्कुल भले चंगे दिख रहे थे और आज सवेरे पता चला की शांत हो गए, सुनकर विश्वास ही नहीं हुआ"

"अरे यार कैलाश क्या बताऊँ, सुन कर मुझे भी धक्का लगा

मुझे तो कल शाम ही पता लग गया था जब एम्बुलेंस आई तो सारा मोहल्ला इकट्ठा हो गया, सारी रात हम सब चिंता में बैठे रहे, अब आगे क्या होगा बच्चे भी अभी नादान है और भाभी भी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं, अब घर परिवार कैसे चलेगा, तू जानता ही है प्राइवेट फर्म मेंअकाउंट्स का काम करते थे विजय बाबू तो वहाँ से भी क्या मिलना जाना, बहुत बड़ी मुसीबत हो गई भाई"

"भाई कैलाश लेकिन हुआ क्या ये तो बता"

"हुआ यूं कि विजय बाबू रोज की तरह ऑफिस को निकले, ऑफिस भी तो 30 किलोमीटर दूर है, तो क्या हुआ कि बाइक चलाते चलाते चक्कर आ गए और सड़क पे गिर पड़े, बहुत देर तक तड़पते रहे, मदद को पुकारते रहे, लेकिन कोई रुका नहीं, पानी पानी की गुहार लगाते रहे लेकिन "स्मार्ट सिटी" बनाने के चक्कर में सड़कें चौड़ी करनी थी ना तो सारी प्याऊ पहले ही हटा दी थी और सड़क किनारे पेड़ों को भी काट दिया गया था ऐसे में न छाया मिली न पानी और बेहोश हो गए, काफी देर बात किसी ने पुलिस को खबर करी तो पुलिस वाले अस्पताल लेकर गए तब तक ये खत्म हो चुके थे, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक हाई ब्लडप्रेशर के कारण अटैक आया और टाइम पे मदद न मिलने के कारण डैथ।

हश्मशान के रास्ते में अभी भी जगह जगह स्मार्ट सिटी के बोर्ड चमक रहे थे .....!!


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