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Dinesh Dubey

Horror Thriller

3  

Dinesh Dubey

Horror Thriller

वीराने का होटल भाग 16

वीराने का होटल भाग 16

5 mins
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भुजंग सोए हुए चारो को ध्यान से देखता है ,उसकी गर्दन सूंघने का प्रयास करती है ,पर कुछ पता नही चलता है ,वह बाहर आकर पहरेदारों को देख कहता है ,*"इन्हे बाहर निकलने मत देना ,वैसे वह लोग हिम्मत नही करेंगे क्योंकि उन्हें पता है की मैं हर पल उन पर नजर रखे हुए हूं,*"!!


पहरेदार कहते हैं ,*" अब तो वह थक कर सो गए हैं ,इतने जल्दी उठने वाले नही है,*"!!

भुजंग उनको देख फिर अंदर जाता है एक बार फिर उन चारो को देखता है ,पता नही उसे तसल्ली नहीं हो रही थी की यहां और कोई नही है, और वह भूत प्रेत जो इनके साथ आए थे ,वह अभी कोई हंगामा नही खड़ा करना चाहते थे ,क्योंकि उनका असली काम तो मंदिर पहुंच कर उनके देवता के हाथ में यंत्र रखवाना था , उस वक्त होने वाली रुकावट को रोकने के लिए इन्हे साथ भेजा गया था , इसलिए अभी इनसे भिड़ कर अपनी उपस्थिति दर्ज नही करना चाहते थे ,*"!!


भुजंग चारो ओर घूम कर अपने स्थान पर जाता है और अपने धड़ से चिपक जाता है ,और फिर अपने शरीर के साथ वह हकीम के पास जाता है ,!!

हकीम उसे देख पूछता है ,*" कौन था वहां ,*"!!

भुजंग कहता है ,*" कोई नही था , पर हमारी सूचना यंत्र कभी धोखा नंही देती हैं,*"!!

हकीम कहता है ,*" नही यंत्र धोखा तो नही देती है ,हो सकता है की अपने ही भूत वहां आस पास घूम गए हों ,*"!!?


भुजंग कहता है , " नही अपने तो कोई नही जायेंगे , इन चारो का क्या करना है ,,*"!!??


हकीम कहता है ,*" अमावस्या की रात इनको बली चढ़ा देते हैं ,और फिर सभी को प्रसाद बाट देंगे *"!!


भुजंग कहता है ,*" तब तो हमारे कुलदेवता खुश हो जायेंगे ,*"!!


मुखिया अपने साथियों के साथ बैठा है , वह भी कांच के एक आईने में उन लोगो को

देख रहा है ,उसके साथ कुछ भयानक भूत भी बैठे हैं , !!

मुखिया कहता है , *" ये बेवकूफ लोग तो सो रहे हैं, अभी थोड़ी ही देर में सभी लोग सोने लग जायेंगे ,तभी निकल कर उनके मंदिर को खोजना होगा , *"!!


एक भूत जो आड़ा टेढ़ा है , वह कहता है,*" मुझे लगता नही है की ये उठेंगे , ये लोग विश्वास के लायक नही है आखिर हैं तो मानव ही ,*"!!

मुखिया नाराज होता हुआ कहता है ,*" मुझे पता है , तू जानवर से भूत बना है , इसलिए चुप चाप पड़ा रह , बार बार मानवों की बुराई मत कर , हम सभी मानव से ही इस योनि में आए हैं ,,इनके अलावा और कोई चारा हमारे पास है , तेरे जानवरों से ये सारे कार्य होंगे ,*"!!

आड़ा भूत चुप हो जाता है ,!!


मुखिया कहता है ,*" वह भुजंग बहुत तेज है ,उस से सम्हाल कर काम करना होगा ,वह इनके लिए मुसीबत बन सकता है , वह अपने धड़ को आराम दे रहा है ,और सर से पहरेदारी कर रहा है , !!


उसकी बात सुन कर एक भूत कहता है ,*" अगर सर को ही तोड़ दिया जाए तो कैसा रहेगा ,**!!


मुखिया सोचता है और कहता है ,*" यह बात तो सही हैं , पर कहीं कुछ गड़बड़ हुई तो ये चारो के साथ हमारे लोग भी मारे जायेंगे ,*"!!

आड़ा कहता है ,*" बीस लोग मिलकर भी उसे ढंग से मार नही सकते हैं , *"!!

मुखिया कहता है ,*" , वह पिशाच है ,तुम बीस नही सौ भी उसका कुछ नही बिगाड़ सकते हो ,हां अगर अचानक उसके सर पर किसी बड़े पत्थर या हथौड़े से मारकर एक झटके में तोड़ देते हैं और उसको ,हमारे भूत चबा जाएं तो बात बन सकती है , अगर एक भी टुकड़ा उसका बच गया तो कुछ देर फिर बन जायेगा और उसके बाद क्या होगा ये समझ सकते हो ,*"!!


इधर चारो धीरे से उठते हैं ,!!

नितिन कहता है *" मैं अभी देख कर आता हूं ,पहरेदार सो रहे हैं की जाग रहे हैं , *"!!


वह धीरे धीरे जाकर बाहर झांकता है ,*" तो दोनो पहरेदार गहरी निंद्रा में सोए हुए थे ,*"!!

नितिन कहता है ,*" कविता और वंदना को यही छोड़ देते हैं और हम दोनो चलते हैं ,*"!!

कविता कहती है ,*" जी नहीं हम सब साथ चलेंगे , अब जो भी होना होगा साथ ही झेलेंगे ,*"!!

वंदना कहती है , *" उस भुजंग का क्या करें उसका सर तो हमारे पीछे ही पड़ा कुत्ते की तरह सूंघता रहता है ,*"!!

नितिन कहता है ,*" मेरे पास बैट होता तो उसका मार मार कर कुचुमर बना कर कुत्तों को खिला देता , *"!!

वीरेन कहता है , **उसको कुत्ते भी नही खायेंगे , कितनी बदबू आती है उसके आने से ,*"!!


नितिन कहता है *" जल्दी चलो ,बातो में टाइम पास नही करना है , *"!!

वह बाहर निकलते हैं तभी उनके कपड़ो से भूत निकलकर उन दोनों पहरेदारों के गर्दन तोड़ देते हैं ,और उन्हे खा जाते हैं कुछ ही देर में वहां उनका नामो निशान नहीं रह जाता है,*"!!

यह देख चारो भौचक्के रह जाते हैं,!!

सभी भूत फिर से उनके कपड़ो पर चिपक जाते हैं,*"!!


इधर मुखिया और उसके साथी यह देख खुश हो जाते है ,!!

मुखिया कहता है ,*" एकदम सही तरीका अपनाया है हमारे साथियों ने ऐसे ही उस भुजंग को भी अचानक हमला कर उसे मौका दिए बीना खा जाएं तो हकीम की आधी शक्ति समाप्त हो जायेगी ,*"!!


हकीम भी सूचना यंत्र के पास बैठा झपकिया ले रहा था ,और सो गया था,*"!!

सूचना यंत्र बार बार हिल रहा था,पर उसको देखने वाला ही सो गया था,*"!!

हकीम भी गहरी नींद में सो रहा था ,!!

ये चारो डर के मारे इधर उधर देखते हुए चल रहे थे , !!

नितिन कहता है ,*" दो घंटे डरने की जरूरत नहीं है , लेकिन उसके पहले हमे इनका मंदिर खोजना होगा , और फिर यहां लौट कर भी आना होगा, *"!!


वीरेन कहता है ,*" उन पहरेदारो के गायब होने से अब हमे अपने बचने का एक मौका मिल गया है , हम जहां भी होंगे कह देंगे ,वह पहरेदार हमे जबरन ले आए थे,""!!

कविता कहती है ,*" यह सही बात है पर हम इस रेगिस्तान में किस ओर जायेंगे ,और याद रहे यहां पर कई जगह बम भी पड़ा है ,इसलिए सोच समझ कर कदम रखना ,*"!!

उसकी इस बात से तीनो घबरा कर चलना बंद करते हैं,*"!!


क्रमशः



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