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Vimla Jain

Inspirational

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Vimla Jain

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विधि सफलता की सीढ़ी की ओर

विधि सफलता की सीढ़ी की ओर

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विधि एक बहुत ही होनहार लड़की हमेशा एक डॉक्टर बनने के सपने देखते अपने आप को सफल डॉक्टर की तरीके से प्रतिस्थापित होता हुआ सपना देखते देखते बड़ी हुई।

 हमेशा डॉक्टर बनने की चाह रखने के कारण बहुत ही मेहनत और लगन से पूरे जिले में फर्स्ट आई ।

उसके बाद उसने मेडिकल एंट्रेंस दिया उसमें भी उसकी शुरू के 10 में नंबर लगा।

 घर आकर उसने अपने पिता को बताया भाई लोगों को सबको बताया उसने सोचा जितना उसको सबसे अच्छा सा आवकार मिलना चाहिए था। सबको खुशी होनी चाहिए थी। उसकी जगह उसके पिता के अलावा एकदम ठंडा उसने अपने भाई भाभी लोगों से बात करना चाहा कि मेरा एडमिशन अब बहुत अच्छी जगह हो जाएगा तो मैं डॉक्टर बन जाऊंगी। दोनों निकल गए।

 बोले शाम को आकर बात करेंगे और रात को आकर सो गए और वह जागती रही की बात करेंगे।

 मगर उन लोगों ने कोई बात नहीं करी।

 सब भाई लोग अपने-अपने कमरों में जाकर सो गए।

 पिताजी ने भी कुछ नहीं कहा दूसरे दिन सुबह जब वो उठती है तब वह देखती है उसके पिता उसके भाई लोगों को बोल रहे हैं जब इसका मेडिकल में सलेक्शन हो गया है। तो इसको डॉक्टर क्यों ना बनाया जाए। मगर सब लोग आपस में उसके मेडिकल में जाने के विरुद्ध है। बहुत खर्चा  हो जाएगा हमारी इतनी हैसियत नहीं है। जब कि सब के सब बहुत अच्छा कमा रहे थे।

 आज उसके पिता को लग रहा था कि मैंने अपना सारा पैसा अपने तीनों लड़कों की पढ़ाई में खर्च कर दिया।

 और यह तीनों भाई मिलकर एक बहन का खर्चा नहीं उठा सकते कितने स्वार्थी हो गए। बिना मां की बेटी जिसको मैंने इतने नाजो से पाला इसका मैं एक सपना भी पूरा नहीं कर सकता जो कितना गलत है।

 मैंने उसे कभी कुछ नहीं मांगा मेरा सारा पैसा इनको दे दिया। इनके ऊपर खर्च कर दिया घर में बहुत झगड़ा हुआ।

 तभी वह आकर बोली ठीक है मुझे नहीं बनना डॉक्टर।

 मैं प्रशासनिक सेवा में जाऊंगी मैंने उसकी तैयारी चालू कर दी है और सब को चुप कर दिया। और खूब अच्छी तैयारी करके आज वह है कलेक्टर की पोजीशन पर आ गई है। जिला कलेक्टर बन गई है।

 उसका पूरा परिवार बहुत खुश है मगर उसके मन में आज भी वह सपना जिंदा है ।

हमेशा उसको सोती है और वही सपना आता है उसका अपने भाई लोगों के प्रति जो आक्रोश था वह तो खत्म हो गया।

 और वह शांति से अपना काम कर रही है ।

मगर इस सपने का क्या करे जो उसको रोज आता है।

 और उसको परेशान करता रहता है ।

फिर आज वह अपने मन में सोचती है इस एक सपने को पूरा ना कर पाने के कारण मैंने दिशा बदली और आज मैं कलेक्टर की पोजीशन पर आ गई हूं ।

मगर अब मैं यह प्रण लेती हूं कि इस परिवार की कोई भी बेटी जो पढ़ना चाहेगी उस लाइन से समझौता नहीं करेगी।

और उसके मन को शांति मिलती है और वह आराम से सो जाती है।



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