वह अकेली
वह अकेली
रंजना नाम है उसका । अठारह साल में ही उसकी शादी हो गई थी । माता-पिता की अकेली संतान थी । तीन भाइयों की लाड़ली थी । अकेली होने के कारण काम काज नहीं जानती थी । ससुराल के भरे पूरे घर में खोई खोई सी रहती थी । सास को लगता था कि बहू आते ही घर सँभाल लेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ । पति पंकज अपने में मस्त रहता था । उसे किसी भी तरह की चिंता नहीं थी । नौकरी करता था और महीने में पैसे माँ के हाथ में रख देता था । रंजना के साथ बातचीत भी नहीं होती थी । जिससे रंजना भी ज़िद्दी हो गई थी । उसकी और सास की पटती नहीं थी आए दिन झगड़े होते थे । उनकी शादी के सात साल गुजर गए और बच्चे भी नहीं हुए । इसी तरह दिन बीत रहे थे कि सात साल बाद रंजना प्रेगनेंट हुई और उसने एक लड़की को जन्म दिया । रंजना को लगा सात साल तक आराम की ज़िंदगी जीने के बाद अचानक से बच्ची के हो जाने से उसके आराम में खलल पड़ने लगी । इस कारण से सास ने बच्ची की ज़िम्मेदारी ले ली । रंजना ने दो साल बाद एक लड़के को भी जन्म दिया था और उसे भी सास ने ही सँभाला लिया ।
पति और दो बच्चों के होते हुए भी वह अकेली थी क्योंकि पति तो पहले भी बात नहीं करता था न ही बाहर घुमाने ले जाता था । इसलिए आए दिन वह मायके चली जाती थी । बच्चों की पढ़ाई का बहाना बनाकर सास उसके बच्चों को उसके साथ नहीं भेजती थी । पहले तो यह सब रंजना को बहुत अच्छा लग रहा था । अब जब वह अपनी चचेरी बहनों को देखती है तो लगता था कि मेरे बच्चे तो मुझे पूछते ही नहीं है । लड़का तो नाम लेकर पुकारा करता था । किसी ने भी उसकी गलती को सुधारने की कोशिश नहीं की थी ।
आज दोनों बच्चे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे । अपने माता-पिता को पूछते नहीं है तब रंजना को लगता है कि पति और बच्चों के होते हुए भी वह अकेली है । उसके लिए कोई सोचता नहीं है ।
दोस्तों कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है । हमें भी सबको साथ लेकर चलना चाहिए ।
