Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Nand Lal Mani Tripathi

Horror

2.5  

Nand Lal Mani Tripathi

Horror

वैश्विक महामारी कोरोना

वैश्विक महामारी कोरोना

14 mins
257


वैश्विक महामारी कोरोना-सम्पूर्ण विश्व में एक त्रदसी जिसने समूचे विश्व समुदाय को विवस कर दिया सोचने को कि मानवता के धीरे धीरे विनाश की यह मानव कि खुद कि ईजाद है या मानव द्वारा प्रकृति के साथ किये गए विकास के अँधा धुंध कि परिणीति या कोई और कारण अभी तक समूचा विश्व इस महामारी का कारण तक नही खोज पाया निवारण का खोजने का प्रयास कर रहा है।

जगह जगह मानवता बिवस है क्या उपाय करे इस महामारी के संक्रमण कि संक्रामकता से विकसित राष्टों का विकास का दम्भ तिलस्म टूट रहा है। बेवस लाचारी में मानवता तड़फ तड़फ कर दम तोड़ रही है। अगर परम् शक्ति सत्ता ईश्वर नाम कि क़ोई ताकत है तो संभवतः मानव के सर्व शक्ति मान होने के अभिमान पर अट्टहास कर रही है।

संस्कृतीयो को चुनौती-वैश्विक महामारी कोरोना कि शुरुआत चीन के बुहान् शहर से हुई जहाँ भगवान् बुद्ध के अहिंसा परमो धर्मः के पोषक और अनुयायी हैं आश्चर्य इस बात का है कि चीन में किस बुद्ध के सिद्धान्त के अनुयायी है क्योकि भगवान् बुद्ध ने अहिंसा को मूल सिद्धान्त मानवता के सर्वोत्तम मूल्यों के रूप में विश्व के समक्ष रखा था जबकि चीन में क़ोई जीव सुरक्षित नहीं है सभी प्रकार के जीव जंतु कीड़े मकोड़ो का आहार करते है। क्या इसके पीछे चीन कि विशाल जनसख्य के लिये भरपूर खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है जो सम्भव नहीं है क्योकि चीन ने विकास के प्रत्येक माप दंड पर विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहा है तो क्या इस तरह कि महामारी अब विश्व समुदाय के लिये सामान्य बात् है जो कही इबोला कोरोना कि मार के रूप में सामने आया है और आता रहेगा।

सामान्य असामान्य--जब चीन के बुहान् शहर में कोरोना महामारी ने दस्तक हुआ तब किसी को पता नहीं था कि सुखी खाँसी बुखार और सांस लेने कि साधारण सी परेशानी मानवता के लिये इतनी भयावह स्तिति पैदा कर देगी। चीन तो दावा करता है कि उसके यहाँ संक्रमण नियंत्रण में है कितना विश्वास किया जा सकता है निश्चित नहीं है। बहुत जानकारों का मत है कि यह एक सोची समझी वैश्विक शक्ति एवम् नेतृत्व कि सोची समझी रणनिति तृतीय विश्व युद्ध का नया तरीका है मानव द्वारा तैयार किये गए जैविक हथियार के मानवीय भूल के विस्फोट का नतीजा है जिसका नतीजा संक्रमण है।

इसे कितना सही माना जा सकता है शोध का विषय है लेकिन यह संसय का विषय अवश्य है कि चीन द्वारा इस महामारी के विषय में विश्व समुदाय को अवगत नहीं कराया गया ना ही उससे निपटने के अपने तौर तरीको को मानवता के हितार्थ बताया गया जिससे कि विश्व समुदाय को कम हानि उठानी पड़ती।

विश्व के विकसित देशों पर प्रभाव-- इस त्रदासी का भयावह पहलू है पश्चात विकसित राष्ट्रों की अपूरणीय क्षति शीत युद्ध समाप्त होने के लगभग पंद्रह वर्षो बाद चीन ही एक ऐसा राष्ट्र है जो इनको परोक्ष प्रत्यक्ष चुनौती देता रहता है जो इन सर्व शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों के लिये चुनौती और अहं पर चोट है यह भी कारण हो नया कारण सम्भव है आधुनिक युग में युद्ध का क्योंकि परमाणु शक्ति सम्पन्न अब बहुत राष्ट्र हो चुके है और परमाणु युद्ध कि भयानक परिणीति विश्व नागासाकी और हिरोशिमा में देख चूका है और परमाणु शस्त्रो का प्रयोग सिर्फ प्रत्यक्ष कारण करक के युद्ध में ही संभव है शीत युद्ध में राजनितिक कुशलता दक्षता में ऐसे शस्त्रो का प्रयोग सर्वथा असंभव है। नाटो संधि और वारसा पैक्ट के बाद सोवियत संघ एक शक्तिय ध्रुव था रूस के विखंडन और पूर्वी जर्मनी के जर्मनी में एकीकरण के पश्चात वारसा पैक्ट लगभग दिन हिन् हो गया और नाटो संधि उत्तरोत्तर शक्तिशाली अब तथाकथित वारसा पैक्ट का एतिहासिक शक्ति केंद्र नजर आता है। अतः बहुत सम्भव है कि यह छद्म विश्व युद्ध का नया वैज्ञानिक तरीका हो। क्योकि जो आंकड़े अब तक है उनके आधार पर स्पष्ठ तौर पर परिलक्षित है कि इस महामारी का प्रभाव क्यूबा उत्तरी कोरिया वियतनाम आदि दशो पर कम है जबकि यूरोप के देश अमेरिका इंग्लॅण्ड जर्मनी इटली स्पेन फ्रान्स न्यूजीलैंड आस्ट्रेलिया आदि देशो में कोरोना संक्रमण ने सर्वाधिक चौतरफा हानि पहुचाई है जिसमे मानव शक्ति आर्थिक हानि सम्मिलत है। यहाँ एक बात महत्व्पूर्ण है कि इस महामारी का प्रभाव दक्षिणी देशो में भी अधिक नहीं है। इस महामारी का सर्वाधिक प्रभाव एशिया यूरोप के देशो पर पड़ा है।

कोरोना का प्रभाव-कोरोना संक्रमण ने एक तरह से समूचे मानव समाज को जीवन शैली कि एक नया आयाम प्रदान किया है पश्चिमी देशो के अति खुलेपन के समाज को भी कोरोना ने अपनी जीवन पद्धति के लिये विवस कर दिया है। पश्चिमी देशों में भाग दौड़ और अति व्यस्तम जीवन शैली के कारण जीवन के लिये अनिवार्य भोजन भी बनाने कि। फुरसत नहीं होती आधा पका भोजन हाफ कुक्ड फ़ूड फ्रिज में रख कर हप्तो खाते है जो इस तरह के संक्रमण का प्रमुख कारण है। दूसरा वहाँ सभी आपस में मिलते है तो हाथ मिलाने या गले मिलकर किस करने कि परम्परा है जो इस सक्रमण का कारण है

इस संक्रमण में सोसल डिस्टेंसिन सभ्यता का ईजाद किया साथ ही साथ मानव के एकात्म भाव शारीर कि वास्तविकता का लाक डाउन नई जीवन शैली या यूँ कहे कि सयमित जीवन शैली का इज़ाद किया जिसके दुष्परिणाम एवम् सार्थक दोनों ही रहे      दुष्परिणाम कि व्यवसायिक और औद्योगिक गतिविधियाँ एक एक रुक गयी जिसके कारण आर्थिक उपज उन्नति का मार्ग अवरुद्ध ही गया और व्यक्ति कि आय घट गयी या रोजगार समाप्त हो गया विकास कि रफ़्तार थम गयी। लेकिन इसका दूसरा सार्थक पहलू है लोगो का बाहर निकलना सडको पर भीड़ भाड़ कम हुआ जिसके परिणाम स्वरुप सड़क दुर्घटनाओ में कमी आई और मानव के द्वारा होने वाले प्राकृतिक प्रदूषण में कमी आई। कोरोना संक्रमण का सबसे बीभत्स पहलू यह है कि जब इस संक्रमण से क़ोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसके सगे संबंधी भी उसके पास तक नहीं पहुचने से परहेज करते है संक्रमित व्यक्ति को जब अपने बेटी बेटो पत्नी से ऐसा व्यवहार प्रत्यक्ष देखने को मिलता है तो उसे खुद पर मानव समाज और रिश्तो संबंधो से विश्वाश उठ जाता है संक्रमण में मानव कि भावनाये भी तिरस्कार से संक्रमित हो जाती है नतीजन वह टूट जाता है विशेषकर अधिक उम्र का व्यक्ति।

वैसे भी कोरोना साठ साल से अधिक उम्र के लिये या किसी बिमारी से ग्रसित व्यक्ति के ज्यादा घातक है इस उम्र में अमुमन आम व्यक्ति का लगाव अपने रिश्तों नातो पर चमोत्कर्ष पर होता है।

भारत विश्व गुरु क्यों और कैसे--भारतीय समाज कि शैली सभ्यता निश्चित रूप से विश्व के अन्य देशो से अधिक परिमार्जित और प्रासंगिक है एक तो यहाँ के अधिकतर लोग धर्म को अपनी जीवन पद्धति का आधार मानते है जिसके अनुसार सामाजिक सरोकार को अंत्यंत सार्थक और व्यवहारिक और करुणा पूर्ण रखा है। यहाँ के अधिकतर लोग शाकाहार पसंद करते है और ताज़ा भोजन ही पसंद करते है मिलने जुलने में प्रणाम या चरण स्पर्श कि संस्कृति यहाँ आम है दूसरा यहाँ नियमित जीवन शैली और दिनचर्या बहुत महत्व्पूर्ण है। विश्व समुदाय का यह मानना हो सकता है कि आर्थिक या शैक्षिक रूप से पिछड़े होने के कारण यहाँ धार्मिक जीवन शैली ज्यादा महत्व्पूर्ण है मगर आज यह सोचने को समूचा विश्व विवस है कि यही जीवन शैली एक आदर्श जीवन शैली हो सकती है जो कोरोना के साथ साथ तमाम आपदाओ और संक्रमण से मानवता कि रक्षा करने में सक्षम और समर्थ है। सबसे खास बात भारतीय जिस परिस्तिति परिवेश स्तर आमिर गरीब हो उनमे दो बाते खास है एक तो शारीरिक श्रम कि आदत दूसरा चिंता मुक्त जीवन शैली के साथ साथ योग यही खासियत भी है भारतीयता और उसके धार्मिक समाज कि जिसके कारण शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता विश्व के अन्य देशो से भारतीयो में अधिक होती है।  साथ ही साथ दक्षिण एसिया के अधिकतर देशो कि संस्कृति आपस में बहुत मिलती जुलती है इसी दृष्टि के दृष्टिकोण के अंतर्गत भारत के प्रधान मंत्री द्वारा सबसे पहले दक्षिण एसिया के देशो के मध्य कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये सहयोग कि पहल का नेतृत्व किया गया

 भारत पर कोरोना संक्रमण का प्रभाव--भारत विकासशील देश है और बहुत से क्षेत्रो में आत्म निर्भरता हासिल कि है मगर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। भारत कि लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी दैनिक आय पर आधारित है कोरोना संक्रमण के कारण लगभग साठ दिनों के लाक डाउन से सारी गतिविधिया एकाएक रुक गयी परिवहन संचार उद्योग आदि सभी कार्य बंद हो गए जिसके कारण आय बंद हो गयी और लोगो के समक्ष रोजी रोटी का प्रश्न खड़ा हो गया दूसरा देश के एक राज्य से दूसरे राज्यो में गए कामगर मजदूरो में भय का वातावरण व्यप्त हो गया जिसके कारण उनका पलायन शुरू हो गया जिसके कारण कभी दिल्ली उत्तर प्रदेश सिमा पर भीड़ एकठ्ठा हो गयी और अपने घर वापसी के लिए जिद्द करने लगी ऐसी ही स्तिति गुजरात महाराष्ट्र में हुई मजदूर जहाँ था वहाँ रुकने के लिये तैयार नहीं था क्योकि उसके समक्ष न्यूनतम दिनचर्या के लिये रोटी का प्रश्न था और प्रशासनिक व्यवस्थाओ पर उसे भरोसा नहीं था। नतीज़न उनके लिये प्रशासन को परिवहन कि अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ी वावजूद इसके हज़ारो लोग सैकड़ो मिल पैदल या किसी न किसी साधन से भागे जिससे पुरे राष्ट्र में भगदड़ कि स्तिति हो गयी। तबलीगी जमात ने कोरोना के प्रसार में कम से कम भारत में महती भूमिका अदा कि प्रारम्भ में इसके प्रसार में टाइम बम कि भूमिका अदा कि। सारी गतिविधियों के बंद होने के कारण आर्थिक रफ़्तार थम गयी जो किसी भी विकासशील राष्ट्र के लिये बर्दास्त कर पाना संभव नहीं है।

राज्य सरकारो के पास अपने कर्मचारियों के अपने खर्चे और कर्मचारियों के वेतन के लिये पैसा नहीं रह गया।

 बेरोजगारी कि स्तिति विश्व के सापेक्ष भारत में भी बढ़ी नतीजा आम जनता ने कोरोना से बचाव के सुरक्षा उपाय को नकारना शुरू कर दीया और यह धारणा बलवती हो गयी कि यदि मारना ही है तो भूखे मरने से ज्यादा बेहतर कोरोना से मारना है।

भारत सरकार कि पहल--निर्विवाद रूप से आजादी के बाद भारत को ऐसा नेतृत्व प्रधान मंत्री के रूप में मिला है जिसे सम्पूर्ण विश्व स्वीकार करता है। भारत में अब तक जितने भी प्रधान मंत्री हुए है सभी कि अपनी अलग पहचान है सब बेजोड़ थे या है लेकिन बर्तमान का नेतृत्व का नेतृत्व भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा स्पष्ठ है आज़ादी के बाद भारतीय जन मानस ने कांग्रेस के अतिरिक्त किसी पर इतना भरोसा नहीं किया आदरणीय अटल जी तेरह दिन तेरह महीने और सादे चार वर्ष का कार्यकाल अवश्य पूरा किया मगर इतने बहुमत से नहीं। भारतीय जन मानस के विश्वास पर वर्तमान नेतृत्व खरा उतरने कि प्राण पण से कोशिश कर रहा है। चूँकि लोकतंत्र कि अपनी मर्यादा होती है जिसका निर्बहन करना एक गुरुतर जिम्मेदारी होती है भारत में कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकारो के मध्य समन्वय का अभाव दिखा हा यु कहे कि था ही नहीं ख़ास कर उन राज्यो में जहाँ केंद्र सरकार के मत का शासन नहीं है जो लोकतंत्र कि खूबसूरती पर बदनुमा धब्बा बनकर मजदूरों का बिस्फोट तबलीगी बिस्फोट आदि के तौर पर जनमानस ने देखा।

 संसाधनों के होते हुये भी समुचित उपयोग अवसर के अनुसार नहीं किया जा सका नतीज़न जन मांनस में आक्रोस ने जन्म लेना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार ने बुजुर्गो के लिये उनकी पेंशन किसानो को सहतार्थ नगद रकम उपलब्ध कराया एल पी जी गैस सस्ते दर पर उपलब्ध करा रही है साथ ही साथ पी एम केयर फंड कि नई व्यवस्था के अंतर्गत संक्रमण से निपटने के लिये धन राशि जुटाई सांसदों विधायको ने अपने वेतन का तीस प्रतिसत दो वर्षो तक न लेने का अहम फैसला किया सरकार कि नयी घोषणा के अनुसार अगले दो वर्षो तक किसी नयी योजना की घोषणा नहीं कि जायेगी साथ ही साथ बीस लाख करोड़ का पॅकेज आर्थिक नुक्सान कि भरपाई के लिये केंद्र सरकार ने किया है। सरकार कि नियत पर शक नहीं है उसकी घोषणाओं और व्यवस्थाओ का न्यायोचित वितरण न होने पर आक्रोस बढेगा और जन मानस में यह सन्देश जाते देर नहीं लगेगी कि सरकार सभी एक जैसी होती है जनता को पीसना ही है मुझे विश्वास है कि पूर्वव्रती सरकारो के विषय में यह मिथक वर्तमान सरकार तोड़ने में सफल और सक्षम होगी।

आंकड़े क्या कहते है--उनहत्तर लाख कुल मरीज लेख लिखे जाने तक पुरे विश्व में है जिसमे भारत में भारत में सवा दो लाख है कुल मृतको कि संख्या लगभग चार लाख है इतनी संख्या में दोनों विश्व युद्ध मिला दे तब भी लोग कालकलवित नहीं हुये थे। विश्व के अन्य देशो में कोरोना मरीजो में मृत्य दर सात प्रतिसत है तो भारत में साढे तीन प्रतिशत स्पष्ठ है कि समय रहते सरकार द्वारा उठाये गए सार्थक कदमो से भारत में सक्रमण के प्रति जागरूकता बड़ी और इसे कई मायनो में सफलता मिली।

कोरोना संक्रमण के सार्थक पहलु-हर विपरीत अवसर खौफ आफत दहसत के समय भी कुछ सार्थक तथ्य उभर कर सामने आते है कोरोना संक्रमण ने भी यही सन्देश दिया है। लाक डाउन के कारण नदियो का जल स्वक्ष हुआ मानव द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी में कमी आयीं। दूसरा सड़को पर वाहन का चलना कम हो जाने के कारण वायु प्रदूषण में कमी आई ध्वनि प्रदूषण में कमी आई। आम जन के खर्चे में कमी आई और संसाधनों के सदुपयोग कि शिक्षा मिली क्योकि बेकार बेमतलब कि पार्टी माल शॉपिंग और गैर जरुरी जैसे शराब सिगरेट या अन्य हानिकारक बस्तुओं के क्रय विक्रय में कमी आई। यदि यही सद्बुद्धि में बदल जाए तो समाज देश सम्पन्न मजबूत होगा। एक अत्यंत महत्व्पूर्ण आंकड़ा जो प्रत्येक भारत वासी को लाक डाउन से आत्म संतोष प्रदान करेगा जो चौकाने वाला भी है केवल भारत में ही प्रतिवर्ष लगभग तीन करोड़ लोग बिभिन्न हादसों के शिकार हो जाते है जिसमे सड़क दुर्घटना रेल हवाई जहाज आदि कि सामूहिक दुर्घटना लाक डाउन के कारण लगभग पचहत्तर लाख लोगो कि जान सिर्फ भारत में बची।

 लॉकडाउन के बाद कि स्तिति--अब तक लॉकडाउन सरकार के आदेश के तहत थे मगर लॉक डाउन खुलने के बाद स्तिति उलट जायेगी अपनी सुरक्षा और बेहतरी के लिये आम जन को स्वयं उन नियमो का कड़ाई से पालन करना होगा जो लॉक डाउन के दौरान लागू थे बेवजह कि भीड़ प्रदूषण और अनावश्यक खर्चो से बचाना होगा तब कही जाकर भारत वासी अपनी लोकतंतंत्रिक अधिकारो कि मर्यादा पालन कर सकेगा कोरोना भाग जाएगा भारतवासी जीत जायेगा। साथ ही साथ कोरोना मरीजो को दुर्भाग्य से किसी को भी हो जाय को भस्वनात्मक रूप से सुरक्षित सहयक बनकर देख भाल करनी होगी और कोरोना बिमारी से लड़ना होगा बीमार का बहिस्कार नहीं। एक महत्व्पूर्ण तथ्य यहाँ और भी है भारतीय पुलिस द्वारा लाक डाउन के दौरान सराहनीय अनुकरणीय कार्य किया गया है निश्चित रूप से उनके बिषय में समाज में सार्थक सोच उभारनी चाहिये। चिकित्सक निरंतर सेवा भाव से अपनी योग्यता दक्षता क्षमता के अनुसार उत्कृष्ट सेवाएं मरीजो को उपलब्ध करा रहे है उनके निष्काम कर्म को सलाम साम्मान किया जाना चाहिये पत्रकार मिडिया जो प्रतिपल खुद को खतरे में दाल कर् सभी जानकारियां जन जन तक वहुचने में महती भूमिका अदा कर जन जन को खतरों से सावधान सचेत कर रहा है लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत निष्पक्ष होना देश हित कि अनिवार्यता है।

विश्व एवम् भारत पर कोरोना महामारी के प्रभाव और सिख--कोरोना संक्रमण तभी पूरी तरह से नियांत्रि हो सकता है जब मानव इसका निदान खोज ले तब तक संक्रमण जारी रह सकता है पश्चिमी देशो खासकर यूरोपीय देशो को अपनी जीवन शैली खान पान में बदलाव करने होंगे क्योकि कोरोना संकट प्रारम्भ हो सकता है विश्व राजनितिक प्रतिस्पर्धा प्रतिद्वंतीता का अंत नहीं क्योकि जैविक हथियारों कि दुनियां में शीत प्रतिस्पर्धा कायम होगी जो भयानक रूप में आती जायेगी। भारत में इसका प्रभाव संख्या के आधार पर अधिक दिखेगा लेकिन हानि के आधार पर न्यूनतम होगा भारतीय जन मानस के लिये यह संक्रमण बहुत सिख दे गया। देश और इतिहास को बहुत अच्छी तरह याद है कि जब वर्तमान प्रधान मंत्री ने अपने प्रथम स्वतन्त्रता दिवस पर स्वस्च्छता को अपना उद्देश्य घोषित किया था तब बहुत से लोगो ने मज़ाक उड़ाया था लेकिन आज इस संक्रमण के दौर में सभी को उस उदेशय के संकल्प का आभास हो चूका होगा। यदि नहीं हुआ है तो भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। भारतीय जन मानस के लिए सिखने कि खास बात यह है कि पर्यावरण को स्वयं के प्राण के अस्तित्व से जोड़ कर् संजोये संसाधनों का दुरूपयोग ना हो साथ ही साथ अनावश्यक खर्चो से बचे यहाँ थोडा भ्रम अर्थ शास्त्रियों को हो सकता है कि देश कि जनता कि क्रय क्षमता बढ़ने से मांग बढ़ती है और उत्पादन बढ़ाने के लिये उद्योगों को मजबूत होना लाज़मी है। मगर जरुरत होने पर जनता कि क्रय शक्ति मौजूद रहनी चाहिये। लॉकडाउन के दौरान बहुत से वैवाहिक आयोजन हुये जिसमे सिमित खर्च हुये और धन कि बर्बादी रुकी जनता को जागरूक होना पड़ेगा ताकि ऐसी परिस्तितियो में परेशान न हो। सरकार के स्तर पर यह सोचना लाज़मी हो जाता है कि जब भी ऐसी स्तिति आने वाली हो उसके पहले भारतीय समाज कि स्तिति का अध्य्यन और निश्चित समयावधि में निराकरण करने का बाद शक्ति से प्रशाशनिक निर्णयो का पालन कराया जाय साथ ही साथ राज्य और केंद्र सरकारो के मध्य ऐसे आपदा के समय ताल मेल हो चाहे पक्ष कि सरकार हो या बिपक्ष कि जो इस महामारी में स्पष्ठ तौर पर नहीं दिखी राष्ट्रीय हितो पर समूचे राष्ट्र का स्वर एक होना चाहिये। एक ख़ास सिख भारत को बाहरी ताकतों से कही अधिक अपने ही लोगो से पराजित होना पड़ता है इस प्रबृति का समूल समापन होना चाहिये। लॉकडाउन के दौरान दुर्घटनाये रुक गयी थी कारण यातायात परिवहन बंद था। अब चलना फिर शुरू हुआ है तो सावधानी सयमित और सुरक्षित होकर वाहन चलाये या परिवहन का उपयोग करे। यदि स्वीकार करें तो यह एक अवसर भी है बहुत कुछ सिखने समझने और आचरण में ढालने का। अन्यथा कोई समाधान कभी बढ़ते आफत दहसत का नहीं मिल पायेगा।        


Rate this content
Log in

More hindi story from Nand Lal Mani Tripathi

Similar hindi story from Horror