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Ashish Kumar Trivedi

Drama

4  

Ashish Kumar Trivedi

Drama

वाट्सएप

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3 mins
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इंटरव्यू समाप्त होने पर मैं बाहर निकला तो कुछ खाने की इच्छा मुझे पास के एक रेस्त्रां के भीतर ले गई। मैंने चाय के साथ पेटीज़ का ऑर्डर दिया।


आज सुबह ही मेरा इ‌‌स शहर में पहली बार आना हुआ था। एक कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आया था। इंटरव्यू ठीक गया था। उन्होंने परिणाम के बारे में सूचना देने को कहा था। दो घंटे के बाद ही मेरी वापसी की ट्रेन थी। मैं सोच रहा था कि कुछ देर शहर में यूं ही घूम कर गुजार दूँगा।


मैं चाय पी रहा था कि तभी कुछ लोग रेस्त्रां में घुसे। उन्होंने ग्राहकों से रेस्त्रां छोड़ कर बाहर जाने को कहा। उनका कहना था कि वो सरकार के किसी फैसले का विरोध कर रहे हैं। अतः बाजार बंद करवा रहे हैं। रेस्त्रां के मालिक ने इस डर से कि वो लोग कहीं तोड़फोड़ ना करें ग्राहकों से चुपचाप चले जाने का आग्रह किया।

अन्य ग्राहकों के साथ मैं भी बाहर आ गया। बाजार में सारी दुकानें बंद हो रही थी। माहौल तनावपूर्ण लग रहा था। मैं शहर में नया था। किसी को जानता नहीं था। एक ही जगह थी मैं स्टेशन चला जाऊँ। मैं एक ऑटो वाले के पास गया। मैंने उससे स्टेशन ले चलने को कहा तो उसने मना कर दिया।


सारा बाजार खाली हो गया था। सब अपने अपने घर चले गए थे। मैं अकेला था। घबराया हुआ था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ?


मैंने सोचा कि थोड़ा आगे बढ़ कर देखता हूँ शायद कोई वाहन मिल जाए। मैं आगे बढ़ा। पर कोई वाहन नहीं मिला। मैंने एप बेस टैक्सी बुक कराने की कोशिश की। पर उन्होंने भी खराब माहौल के कारण सेवा देने से मना कर दिया। मैंने पैदल ही स्टेशन की तरफ बढ़ने का फैसला किया।


मैं पैदल स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। तभी देखा कि कुछ लोग तोड़फोड़ कर रहे थे। वाहनों को आग लगा रहे थे। मैं घबरा गया। एक गुमटी के पीछे जाकर छिप गया।


तभी मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया। मैंने चेक किया। वाट्सएप मैसेज था। एक फेसबुक मित्र था। जो वाट्सएप पर जुड़ा था। मैंने मैसेज पढ़ा।


'आई होप यूं आर सेफ... तुमने बताया था कि यहाँ तुम्हारा इंटरव्यू है। न्यूज़ में देखा कि वहाँ का माहौल ठीक नहीं है।'


मैसेज पढ़ कर मैंने तुरंत अपनी स्थिति के बारे में बता दिया। कुछ देर बाद जवाब आया।


'मैं देखता हूँ। वहाँ मेरे दो दोस्त हैं। तुम अपनी सही लोकेशन बताओ।'

मैंने अपनी लोकेशन भेज दी। दस मिनट बाद जवाब आया।


'वहीं किसी सुरक्षित स्थान पर रुको। मैंने अपने दोस्त राकेश को बताया। वह तुम्हारी मदद के लिए आ रहा हैं।'

करीब पंद्रह मिनट के बाद एक कार आकर रुकी। मेरे मोबाइल पर कॉल आई। मैंने फोन उठाया तो राकेश का था। उसने मुझसे पूछा कि क्या मुझे नीले रंग की सेंट्रो कार दिख रही है। मैंने हाँ कर दिया। उसने मुझसे कार के पास आने को कहा।


मैं जब कार के पास पहुँचा तो राकेश ने शीशा नीचे कर कहा‌,

"तुम नील हो?"

मैंने फ़ौरन हाँ कर दी। उसने दरवाज़ा खोला मैं कार में बैठ गया। राकेश ने मुझे स्टेशन तक पहुँचा दिया। ट्रेन चलने वाली थी। मैने राकेश को धन्यवाद दिया और जाकर ट्रेन में बैठ गया।


मैं सुरक्षित था। वह टेक्नोलॉजी जो अक्सर माहौल बिगाड़ने का ज़रिया बनती है मेरे लिए बिगड़े माहौल में मददगार बन गई।


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