"वादा"

"वादा"

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“आह… लग गयी.... अरे कोई बचाओ मुझे.”. आज फिर प्रहार किया था उसने मेरे खोल की दीवार यानी कि माँ का पेट पर….. लेकिन देख लेना एक बार बाहर आ गया ना पेट से… तो फिर छोड़ूँगा नहीं उसे... पता नहीं कौन दुष्ट है जो रोज-रोज माँ को लात-मुक्के और धक्के मारता रहता है ..ये भी नहीं सोचता कि माँ को कितना दर्द होता होगा...और माँ के साथ-साथ मुझे भी तो चोट लग जाती है ना.. क्योंकि मैं माँ के  पेट में जो हूँ....इसलिए तो कुछ कर नहीं पाता अभी. बस एक बार बाहर आ जाऊं ..फिर नहीं मारने दूँगा उसे माँ को...पर पता नहीं मैं कब बाहर आऊंगा ..? और बाहर तो तब आऊंगा ना जब ज़िंदा बचूँगा..

पता नहीं कौन था वो आदमी.. जो हर रोज माँ पे चिल्लाता ..उनसे मार-पीट करता और कहता कि” तुझे डॉक्टर से जाँच करानी ही होगी कि तेरे पेट में लड़का है या लड़की”.. फिर माँ के हर बार के इनकार पर वो और भी ज़्यादा भड़क जाता ..और माँ को दो-चार लात लगा देता. और उसकी इस मार-पीट से मुझे भी चोट लग जाती थी ..लेकिन मेरा दर्द कौन सुनता क्योंकि तो मैं तो माँ के गर्भ में था ना... लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता था कि ये लड़का-लड़की का क्या चक्कर है..? . क्योंकि माँ को हमेशा यही कहते सुनता था कि वो जाँच नहीं कराएगी क्योंकि अगर जाँच में लड़की निकली तो फिर से वो आदमी उसे पेट में ही मरवा देगा जैसे कि पिछली बार मरवा दिया था.. 

माँ की ये बात सुन के मैं और भी सहम जाता कि कहीं वो आदमी मुझे भी ना मार दे...क्योंकि अभी तक तो मुझे भी नहीं पता था ना कि मैं लड़का हूँ या लड़की ...मैं तो अभी अविकसित भ्रूण था ना.. पर समय बीतने के साथ-साथ मैं विकसित होता जा रहा था अब बाहर की सारी बातें सुनाई देने लगी थीं मुझे और समझ भी आने लगी थीं ..और डर भी लगने लगा था... 

और फिर एक दिन उस आदमी ने माँ को ये धमकी दे डाली कि अगर माँ जाँच नहीं करायेगी तो वो माँ को सीढ़ी से धक्का दे देगा फिर माँ अपने आप ही अस्पताल पहुँच जाएगी और फिर जो भी डॉक्टर उसका इलाज कर रहा होगा उस डॉक्टर को हरे- हरे नोट दिखा के सब पता कर लेगा वो.. .अब माँ और भी डर गयी थी ..लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी थी माँ ने… अब माँ ने भी उसे धमका दिया था “कि सोच लो अगर पेट में लड़का हुआ तो ?.और वो तुम्हारी इस मार-पीट से पेट में ही मर गया तो ?” उसके बाद से फिर उस आदमी ने माँ को मारना छोड़ दिया …...उसके बाद माँ का और मेरा कुछ समय शांति से बीता और फिर एक दिन मेरे पेट से बाहर निकलने का टाइम आ गया, माँ को अचानक से बहुत दर्द हुआ और उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया. जहाँ डॉक्टर ने बताया कि” माँ की हालत बहुत नाज़ुक है और ऑपरेशन करना पड़ेगा.....और माँ और बच्चे में से सिर्फ़ एक को ही बचाया जा सकता है”. तब उस आदमी जो मेरी माँ का पति था उसने डॉक्टर से पूछा की पेट में लड़का है या लड़की.....तो डॉक्टर ने उसे डाँट दिया था कि “यहाँ आपकी पत्नी और बच्चे की जान पे बन आई है और आप ऐसे बेवकूफी भरे सवाल कर रहें है”....तब  माँ के पति ने कहा कि आप बच्चे को ही बचा लीजिए... क्योंकि हो सकता है कि पेट में लड़का हो.....उसके ऐसे जवाब पर डॉक्टर झल्ला कर बोला कि ना जाने क्यों ईश्वर आप जैसे गँवार लोगों को पिता बनने का मौका दे देता है अरे पत्नी की तो ठीक से देखभाल करते नहीं हो बच्चे को क्या ख़ाक संभालोगे? आप जैसे लोगों से ये सवाल पूछने का मतलब है अपना समय बर्बाद करना “ मैं दोनों को बचाने की कोशिश करूँगा ऐसा कह कर डॉक्टर वहाँ से चला गया….और फिर डॉक्टर ने अपने कोशिशों से हम दोनों को बचा लिया …

अब मैं खोल से बाहर आ गया था .बाहर आते ही मुझे पता चल गया कि मैं लड़का हूँ...क्योंकि मेरी माँ के पति ने मेरे पैदा होते ही खुशी के मारे मुझे अपनी गोद में लपक लिया. 

मैं जब से माँ के गर्भ में आया था तब से आज पहली बार उस आदमी की प्यार भरी बातें सुनी थी...माँ भी बहुत खुश थी कि चलो अब उन्हें भी घर में मान-सम्मान मिलेगा क्योंकि उन्होंने एक लड़के को जनम दिया है ..पर माँ के नसीब में शायद ये खुशी और मान-सम्मान नहीं था क्योंकि पहले के दो गर्भपात की वजह से माँ इतनी कमज़ोर हो गयी थी कि वो अस्पताल में ही चल बसी... लेकिन मेरे पिता को मेरी माँ की मौत का कोई अफ़सोस ही नहीं था वो जल्दी ही घर में मेरी नयी माँ ले आये कैसा पुरुष था वो एक पत्नी का तो सम्मान कर नहीं सका और दूसरी ले आया... 

सिर्फ़ मुझे इस दुनिया में लाने के लिए माँ ने कितने कष्ट सहे थे.....पर बदले में उन्हें क्या मिला ..?  "लेकिन माँ आज मैं,आपका बेटा आपसे ये वादा करता हूँ कि जब मैं शादी करूँगा तो मैं अपनी पत्नी को पूरा सम्मान दूँगा...मेरी औलाद चाहे वो लड़का हो या लड़की उसे पूरे मन से अपनाऊंगा जो गलती मेरे पिता ने कि वो गलती मैं कभी नहीं दोहराऊंगा आज आपके बेटे का ये वादा है आपसे….


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