" उत्सुकता "
" उत्सुकता "


जब गाँव की चंदों अपनी विधवा पेंशन और बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी से चक्कर काट काट कर थक चुकी थी और वहाँ उसकी किसी ने कोई मदद नहीं की तो पास के एक वकील साहब के सहयोग से उसकी पेंशन और बच्चों को बाल कल्याण भत्ता मिलने शुरू हो गया
उसनें अपने बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए गाँव के ही सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया जहाँ उससे कोई एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस व किसी प्रकार का कोई फंड नहीं लिया गया उल्टे उसे पुस्तकों का सेट फ्री दिया गया और बच्चों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया यह देखकर वह गदगद हो गई लेकिन एक बात उसे खाए जा रही थी कि वह बाबा साहेब कौन है जो सबका ख्याल रखते है तो मेरी नजर में वे भगवान से भी बढ़कर है और जिसके बारे में वकील साहब ने बताया था वह उनके बारे में जानना चाहती थी
इसके बारे में उसने अपनी सास ,ननद और पड़ोस की और औरतों से बात की लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया और उसे डांटा तथा भला बुरा कहा
लेकिन उसने हार नहीं मानी और
बाबा साहेब को जानने के लिए वह फिर वकील साहब से मिलने उनके दफ़तर पहुंच गई
सबसे पहले उसने उनका अभिवादन किया और फिर विधवा पैंशन और बच्चों को बाल कल्याण भत्ता दिलाने तथा दाखिले में सही राय देने के लिए उनका धन्यवाद किया
फिर उसने पूछा -ये बाबा साहेब कौन है जिनका जिक्र आप कर रहे थे मगर गाँव में उन्हें कोई जानता ही नहीं है
तब वकील साहब ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया और उसे बाबा साहेब के बारे में जो बताया उसका संवाद इस प्रकार है
वकील साहब;
बाबा साहेब हम सबके खेवनहार है
औरत:
खेवनहार ? वो तो हम सभी लोग भगवान को मानते है
वकील साहब:
हां ,यही हमारे समाज की विडम्बना है कि हम उसे नहीं जानते जिसे जानना चाहिए और भगवान और ऊपर वाले पर भरोसा करते है
औरत:
मैं समझी नहीं साहब, अच्छे से बताओ
वकील साहब:
- तो सुनो, बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर उस सख्सियत का नाम है जिसके बनाए गए विधान के अनुसार भारत का शासन चलता है और यह सभी धर्मों के लोगों को बिना किसी( लिंग,जाति,वर्ण )भेदभाव से समान अवसर और न्याय प्रदान करता है उन्हें जुल्म, ज्यादती ,दुर्घटना, विपदा आपदा होने पर सभी को पूर्ण सुरक्षा व सुविधा मुहैया कराता है
औरत:
तब तो बाबा साहेब ही सच में भगवान हुए हमें उन्हें ही अपना आराध्य( देव) मान
ना चाहिए
वकील साहब:
आपकी बात सच है लेकिन बाबा साहेब ने कहा है कि मुझे देव न मानकर मेरी शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए ताकि व्यर्थ के ढोंग, पाखंड खत्म हो और लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा हो
औरत :
ठीक है पर यह तो बताओ कि बाबा साहेब ने हमें कौन कौन सी शिक्षाएं दी है
वकील साहब:तो ध्यान से सुनो
1.सब स्त्री पुरुष को शिक्षित होना चाहिए और उन्हें अपने बच्चों को भी पढ़ाना चाहिए
बाबा साहेब ने कहा है कि "शिक्षा शेरनी के उस दूध की तरह है जो जितना ग्रहण करेगा वो उतना ही दहाड़ेगा " इसलिए आप एक रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ
2.अपने हक अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए ,अन्याय का विरोध करना चाहिए अपनी आवाज स्वयं बुलंद करने के लिए बाबा साहेब का साहित्य पढ़ना चाहिए और उनकी विचार धारा को जन जन तक पहुंचाना चाहिए
3.व्यर्थ के ढोंग, पाखंड जो हमें देवी देवता,पीर पैगम्बर,ओलिया,धर्मगुरुओं का भय दिखाकर मानसिक रूप से गुलाम बनाते है उन्हें छोड़ देना चाहिए और उनसे सजग रहना चाहिए क्योंकि धर्म ग्रंथ औरत को उच्च दर्जा नहीं देते जबकि भारत के संविधान की बदौलत वह पंच, सरपंच से लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक शीर्ष पदों पर सुशोभित है और उच्च दर्जे की अधिकारी है
4 .संगठन बनाकर और संघठित रहकर समाज के सभी वर्गों के भले के लिए कार्य करना चाहिए और आपसी सौहार्द बनाकर समता, न्याय और बंधुता बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास करना चाहिए
औरत:
तुम्हारा लख लख शुक्रिया वकील साहब
आपने तो मेरी आंखें खोल दी अब मैं जो पहले ढोंग पाखंड में फंसी हुई थी और जब मेरे पर विपदा पडी तब किसी देव, पीर ने मेरी कोई मदद नहीं की और बाबा साहेब के संविधान की वजह से मुझे जो सहायता प्राप्त हुई उसके लिए मैं बाबा साहेब की हमेशा ऋणी रहूँगी और अपना शेष जीवन बाबा साहेब के मिशन और ढोंग पाखंड को खत्म करने में लगाऊंगी
वकील साहब:
तो देखो अब14 अप्रैल आ रही है और यह भीम जयंती के रूप में पूरे देश में" ज्ञान दिवस" के रूप में मनाया जाएगा उसमें तुम शरीक होना चाहोगी
औरत : हां जी जरूर ,वकील साहब जरूर
मैं अपने दोनों बेटों और अन्य औरतों के साथ शहर की अम्बेडकर जयंती में अवश्य शामिल होऊँगी
इस प्रकार वकील साहब को जय भीम कहकर वह अपने घर लौट आई।