"महामहिम द्रोपदी मुर्मू "
"महामहिम द्रोपदी मुर्मू "


अर्श से शीर्ष तक पहुंचने वाली प्रथम आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति पद पर चुना जाना बहुत ही गौरव की बात है।
आदिवासी दलित पिछड़े या अल्पसंख्यक श्रेणी के लोग किसी भी दृष्टि से हीन नहीं होते लेकिन सामाजिक आर्थिक राजनीतिक दृष्टि से उन्हें वह तमाम सुविधाएं नहीं मिल पाती जो अन्य वर्गों अन्य को जन्म से ही प्राप्त हो जाती है इसलिए आदिवासी समाज से संबंधित महामहिम द्रौपदी मुरमू द्वारा समाज एवं जन कल्याण के लिए विशेषकर आदिवासी पिछड़े दलित शोषित पीड़ित वर्गों के का उत्थान करना इनकी प्रथम उपलब्धि होनी चाहिए उनके हित के लिए वह ठोस कार्य कर सकें जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ सके और वे संबल बनकर अपना उत्थान कर सकें।
मैं आपको आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के बारे में कुछ बताना चाहता हूं कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जंगल वन और जमीन के लिए संघर्ष किया और बहुत कष्ट उठा कर के अंग्रेजों से भी लड़े और देश के भीतर जमींदार संभ्रांत लोगों से उन्हें जूझना पड़ा और वे अपने काम में काफी हद तक सफल भी हुए इसलिए उन्हें धरती के आभा भी कहा जाता है और आदिवासी लोग उन्हें भगवान के रूप मे
ं मानते हैं।
हमारे देश में जाति और धर्म की राजनीति होती है दलितों को केवल मोहरा बनाया जाता है और उन्हें अपना राजनीतिक हित साधने के लिए आगे बढ़ाया जाता है जो करना बहुत गलत है इससे पहले कई अल्पसंख्यक समुदाय ( मुस्लिम, सिक्ख और दलित) राष्ट्रपति रह चुके है लेकिन उनकी स्थिति में कितना सुधार हुआ है यह हमसे छिपा भी नहीं है।
अत: राष्ट्र मुखिया अपने विवेक से देश के तमाम दलित पिछड़े, अल्पसंख्यक वर्गों के उत्थान की योजना बनाएं देश से बेरोजगारी, भुखमरी, बाढ़ , अकाल, महामारी से निपटने की रुपरेखा तैयार करें।
सभी तरह के अपराध खत्म हो, गरीबी और अमीरी का फासला खत्म हो, सभी को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो की पुरजोर कोशिश करें।
अंत में महामहिम को धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने विपरीत स्थितियों में शीर्ष पदों पर साहसिक कार्य किया और आगे बढ़ीं तथा आगे भी इसी तरह कार्य करती रहेंगी और संविधान की रक्षा करेंगी।