उसके डैडी की मोहब्बत

उसके डैडी की मोहब्बत

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उसदिन जब शापिंग माॅल में मैं रानी से मिली तो उसका चेहरा बिलकुल उतरा हुआ था। मैंने जब उससे हालचाल पूछा तो उसके आंसू ही टपक पड़े!! किसी तरह अपनी आंसुओं को समेटकर वह वहाॅ से भाग गई । मेरी समझ में कुछ न आया। अगले दिन दिनभर उसको फोन पर जब न पा सकी तो अगली सुबह मैं उसके घर पहुंच गई । जानती थी कि इस समय वह घर पर अकेली ही होती है। एक गृहिणी के लिए पलभर के फुर्सत का वही तो समय होता है जब कि उसके बच्चे स्कूल में होते हैं और पतिदेव दफ्तर के लिए निकल चुके होते हैं। मैंने सोचा कि हम दोनों सहेलियाँ इस समय दिल खोलकर बातें कर सकेंगे। पर रानी आज मुझे देखकर बिलकुल भी खुश नहीं हुई । पहले तो उसने कुछ भी नहीं कहा पर बहुत मिन्नत करने के बाद उसने जो खबर सुनाई वह काफी चौकाने वाली थी! उसके पिताजी , मेरे सतबीर अंकल, दुबारा शादी करनेवाले हैं!!


रानी और मैं बचपन की सहेलियाॅ हैं। रानी की माॅ का मायका मेरे घर के समीप था। वह हर गर्मियों की छुट्टियों में अपने भाई राजा के साथ ननिहाल आती थी। हमउम्र होने के कारण हमारी जल्द ही दोस्ती हो गई ।उसने एकदिन मुझसे कहा था , "देख तेरे और मेरे नाम दोनो ही 'र' अक्षर से शुरू होते हैं। तो फिर आज से हम पक्के दोस्त हुए।"


शादी के बाद भी हमारा यह बंधन अटूट रहा क्योंकि हमारे ससुराल नजदीक थे। उसकी मम्मी को इस नाते मैं बुआ कहा करती थी। सविता बुआ का कैंसर के कारण दो दशक पहले ही स्वर्गवास हो चुका था। उस समय सतबीर अंकल ने उनकी जितनी सेवा की थी ऐसा मैंने और किसी को करते हुए कभी न देखा था।फिर अंकल ने ही दोनो बच्चों को अकेले पाल-पोसकर बड़ा किया। उनकी शादी करवाई। राजा भैया और रानी के लिए उन्होंने माता और पिता दोनों की भूमिका निभाई थी। इस कारण अंकल मेरे लिए अत्यंत श्रद्धा के पात्र हैं। उन्हें मुझसे भी बेटी-समान स्नेह है।


इतने वर्षों बाद जब वे फिर से शादी करना चाहते हैं तो इसका जरूर कोई ठोस वजह होगा! यही बात मैं रानी को समझाना चाहती थी पर वह मेरी बातें सुनकर क्रुद्ध होकर बोली, " रूही अगर तुम्हारे बाबूजी भी ऐसा करते तो क्या तुम तब भी इतनी cool रह पाती? चारो तरफ कितनी बदनामी होगी सोचा है कभी? बुड्ढे को इस उम्र में भी शादी करने का भूत सवार है!" मैं हैरान थी रानी उस शख्स को 'बुड्ढा' कह रही थी जिसे वह आजीवन प्यार से "डैडी" कहा करती थी और जिन्हें वह हमेशा एक आदर्श पिता के रूप में देखती थी। यहाॅ तक कि वह अपनी पति की भी कई बार उनसे तुलना कर चुकी थी!! आज सबकुछ अचानक कैसे भूल गई ?!!



मैंने उसे आश्वासन दिया कि सतबीर अंकल से बात करके उनको समझाने की कोशिश करूंगी।


जब अंकल के घर पहुंची तो अंकल को काफी टूटे हुए हालत में पाया। जिन्दगी भर की कमाई इज्जत पल भर में लूट जाने पर इंसान की जो दशा होती है -- वैसी ही कुछ कुछ हालत उनकी थी। जिन लोगों को छोटे से बड़ा किया, उनका अपना खून, अब उनकी दुश्मन हो चुकी थी!! जो राजा भैया अपनी माॅ की मृत्यु का समाचार पाने पर भी जरूरी काम के कारण घर न आ पाए थे, आज कैलिफोर्निया से सपरिवार आ धमके थे। भाभी को आज ही मैने पहली बार देखा था। पाश्चात्य संस्कति में पली-बढ़ी, उन्होने शायद बड़ों का सम्मान करना न सीखा था, अंकल को बहुत ही गंदी गालियां दिए जा रही थी। मैं किसी तरह रोते हुए अंकल को उनके कमरे तक खींच लाई थी। सस्नेह उनके आंसू पोछने के बाद पूछा, " अंकल, यह सबकुछ कैसे हुआ ?"



अंकल अब थोड़ा संभल चुके थे। उन्होंने कहा, " रूही, बेटा, अब तुम्हें क्या बताऊं? मेरे बच्चे डरते हैं कि मेरी सारी जायदाद किसी और की हो जाएगी। मैं कब से उन्हें समझा रहाहूँ कि वह तो मैं पहले ही इनके नाम कर चुकाहूँ । मैं जल्द ही गांव चला जाऊंगा। फिर इनको किसी तरह की कोई परेशानी न होगी!"



मैंने अंकल से जब उनकी दूसरी शादी के बारे में पूछा तो वे जरा से शर्मा गए । फिर बोले ," ऋतु और मैं कालेज से एक-दूसरे को जानते थे। हम शादी भी करना चाहते थे, मगर हमारी जाति अलग होने के कारण घरवाले कभी राजी न हुए। फिर हमने सबकी खुशी के खातिर अलग होने का फैसला लिया। ॠतु शादी के बाद विदेश में सेटल हो गई। मेरी भी तबतक तुम्हारी बुआ से शादी हो चुकी थी। फिर गृहस्थी के फेर में हम उलझते चले गए और एक-दूसरे को भूल गए। पिछले साल जब मैं अस्पताल चेक अप के लिए गया था तब वर्षों बाद अचानक ऋतु से दुबारा मुलाकात हो गई । उसकी हालत बहुत खराब थी उस समय । वह कई रोज से बीमार थी। कोई अपना नहीं था उसके पास। पड़ोसी किसी तरह उठाकर उसे अस्पताल ले आए थे। शायद उसकी किस्मत में इस समय मेरी सेवा लिखी थी। आजकल वह पहले बेहतर है। पर बिलकुल अकेली! मैं भी तो यहाॅ अकेला रहताहूँ । मुझे कुछ हो जाए तो मेरे बच्चों के पास फुर्सत ही नहीं है कि कोई आकर मुझे अस्पताल ले जाए! उन्हें तो सिर्फ मेरे जायदाद से वास्ता है।"



इतना कहकर अंकल फिर रोने लगे।


मैंने उन्हें नहीं रोका। मैं कुछ निश्चय करके उठ खड़ी हुई ।

आज मैं ऋतु अंटी और सतबीर अंकल को विदा करने प्लैटफॉर्म तक छोड़ने आई हूँ ।हाॅ, उनके दोनो बच्चो में से कोई भी यहाॅ उपस्थित नहीं है। कल ही उनका कोर्ट मैरेज हुआ है और आज वह गांव जा रहे हैं। जिन्दगी की आखिरी घड़ियाॅ दोनों एक-दूसरे की सान्निध्य में बिताना चाहते हैं, बस इतनी सी ख्वाहिश है इनकी!! मैंने उनकी हैपी मैरिज लाइफ की प्रार्थना की और जैसे ही उनके पैर छूने के लिए झुकी, दोनों ने मुझे पकड़कर गले लगा लिया। उनकी दोनों बूढ़ी आंखों से मेरे लिए आशीष झरने लगे थे!!





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