Ragini Ajay Pathak

Inspirational

4.4  

Ragini Ajay Pathak

Inspirational

उपदेश देना आसान है।

उपदेश देना आसान है।

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रितु ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टियां लेकर दो साल बाद अपने मायके आयी हुई थी। मायके में उसके माँ पापा और भाई भाभी के साथ उनके दो बच्चें थे छुट्टीयां बिताने आयी रितु का मन अपने माता पिता की स्थिति देखकर दुःखी हो गया। और भाई भाभी पर गुस्सा भी बढ़ गया था। उसका मन होता कि भाई को बैठाकर के खूब खरी खोटी सुना दे। की तुम दोनों की लापरवाही से मां पापा को बीमारियों ने घेर लिया।लेकिन अगले ही पल उसे लगता छोटी बहन होकर बड़े भाई से इस तरह बात करना ठीक नही है।

दअरसल रितु के पापा को डायबिटीज के साथ साथ किडनी और हार्ट की भी प्रॉब्लम हो गयी थी उसकी मां को माइग्रेन ,डायबिटीज और आर्थ्राइटिस की समस्या हो गयी थी। लेकिन दोनों ही लोग अपनी सेहत के प्रति लापरवाह थे। डॉक्टरों द्वारा बताए गए खान पान को ही रितु की भाभी सुरभि फॉलो करती थी।

रितु की भाभी को दोनों बच्चों के साथ सास ससुर की दवाइयां और खाना भी अपने ही हाथ से खिलाना होता था। लेकिन रितु को लगता था कि अगर भाभी ने ठीक से उसके माता पिता का खयाल रखा होता तो उनको ये सारी बीमारियां ना होती। ये सब उन लोगो की लापरवाही की वजह से ही हुआ है। और अब उसके सामने अच्छा बनने के लिए सेवा करने का दिखावा किया जा रहा है।

जाने वाले दिन रितु अपनी मां के साथ ऐसे चिपक कर बैठी हुई थी जैसे लग रहा था आज के बिछड़ने के बाद वह कभी मिलेंगे ही नहीं। तभी रितु ने अपने पर्स से कुछ पैसे निकालकर धीरे से अपनी मां के हाथों में पकड़ा दिया और बोली ," मम्मी अपने पास रख लो तुम्हारे काम आएंगे। भाई भाभी को पता ना लगने पाए।"

इतना सुनते ही रितु के माँ की आंखें भर आई और उन्होंने अपनी बेटी से कहा," अरे! बेटी यह क्या कर रही हो? मैं इन पैसों का क्या करूंगी?"

रितु ने बोला ,"मां क्या आपको पैसों का काम नहीं है ?अब तो पापा भी जॉब नहीं करते हैं,ना ही उनको पेंशन मिलती है।भैया-भाभी को कोई मतलब ही नहीं हैं. उनको देखकर तो ऐसा लगता है जैसे दोनो को आप दोनों की कुछ चिंता ही नहीं बस खाना कपड़ा देकर फॉर्मेलिटी निभा रहे हैं।"

रितु की मां ने कहा ," तुम गलत सोच रही हो रितु। वो दोनों हम दोनों का बहुत खयाल रखते है। जबकि आजकल बहू की तो तबियत भी ठीक नहीं रहती। तुम्हारा भाई भी बिजनेस में नुकसान होने की वजह से थोड़ा परेशान रहता है। ऊपर से घर का खर्च ,बच्चों की पढ़ाई, हमारी दवाइयों का भी तो खर्चा रहता ही है। फिर भी क्या उन दोनों ने तेरे और दामाद जिक आवभगत में कोई कमी की ,नही ना।हालांकि उसने ये सारी बातें तुझे बताने के लिए मना किया था"

अगर ये पैसे मैंने ले लिए तो उनको बहुत बुरा लगेगा साथ ही दामादजी मेरे बारे में क्या सोचेंगे? कि मैं बेटी से चोरी चुपके पैसे लेती हूं।

रितु ने तुरंत तुनककर बोला,"मां कोई कुछ नहीं सोचेगा आप किसी की भी चिंता मत करो और आप भाई भाभी की करतूतों पर पर्दा डालना बंद करो। मुझे सब पता है वो लोग मुझे और अक्षत को दिखाने के लिए ऐसा कर रहे है। ताकि मेरे और इनके सामने वो दोनों अच्छे बेटा बहु बने रहे।लेकिन मैं उनका ये नाटक अच्छे से समझती हूँ। कैसे भाभी ने कल पापा को रसगुल्ले देने से मना कर दिया था?

तभी पीछे से रितु के पति अक्षत ने कहा,"रितु तुम कुछ नहीं समझतीं । अगर सच मे तुम कुछ समझती तो माँजी की बात पर गौर करती। तुम अपने भाई भाभी पर उंगली उठा रही हो। तो तुम बताओ तुम भी तो इनकी बेटी हो ना ,तुम क्यों नहीं निभा देती बेटों वाला फर्ज? तुमको तो इन लोगो से बात तक करने की फुर्सत नहीं रहती। जबकि तुम्हारे ऊपर तो सास ससुर की भी जिम्मेदारी नहीं । अचानक यूं साल में एक बार आकर उनको कुछ खाने पीने की चीजें कपडे दिलाकर तुम महान बन गयी। लेकिन जो 365 दिन चौबीस घण्टे उनकी सेवा कर रहा है उसका कोई मोल नहीं"

रितु ने कहा," देखो अक्षत तुम कुछ नही जानते। इसलिए ऐसा बोल रहे हो। बेटा होने के नाते भाई का पहला कर्तव्य मां पापा की तरफ होना चाहिए।"

तब अक्षत ने कहा,"रितु दुनिया कितना भी बदल जाए लेकिन जब तक हम ख़ुद नहीं बदलेंगे कुछ नहीं बदलने वाला। काश तुमने अपनी भाभी से भी बात करके इस बारे में जानने की कोशिश की होती। तो तुम्हें शायद सच का अंदाजा होता। लेकिन तुमने बात करके समस्या का हल निकालने की बजाय क्या किया। गलतफहमी और दूरियां पैदा करने का काम किया।"

रितु वो जमाना अलग था जब लोग लड़कियों को पढ़ाते नहीं थे। उन्हें घर के काम काज सिखाते थे। लेकिन आज लगभग हर माँ बाप अपने बेटे बेटियों दोनों को समान शिक्षा दे रहा है। उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे है। तो क्यों आत्मनिर्भर बेटियां अपने मां बाप के लिए बेटों जैसा फर्ज नही निभा सकती।

रितु किसी को उपदेश देने में और खुद जिम्मेदारी निभाने में फर्क होता है। जितना आसान उपदेश देना होता है उतना ही कठिन उसे खुद निभाना होता है।

"रितु को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे?"

तब रितु की मां ने कहा,"रितु दामादजी बिल्कुल सही कह रहे है। तेरी भाभी कम बोलती है। लेकिन दिल की साफ और जिम्मेदार बहू है। अभी उसकी भी तबियत ठीक नहीं।उसके यूट्रस में गांठ है ।जिसका ऑपरेशन जल्द से जल्द कराने के लिए डॉक्टर ने बोला है। लेकिन हमारी देखकर की वजह से वो उसको टालती जा रही है। की अगर वो बेड पर आ गयी तो बच्चों की और हमारी देखभाल कौन करेगा?"

दरवाजे पर चाय की ट्रे लिए रितु की भाभी सुरभि ने सबकी बातें सुन ली थी। सबकी बातें सुन उसकी आंखें नम हो गयी थीं। तभी रितु की नजर दरवाजे पर पड़ी तो उसकी और सुरभि की नजरें एक दूसरे से टकरा गई। उन्हें देखकर सुरभि वहाँ से जाने लगी तो रितु ने आगे बढ़कर सुरभि का हाथ पकड़ लिया।।औऱ ट्रे टेबल पर रख कर सुरभि के गले लगकर ख़ूब रोयी। जिससे सुरभि की भी आंखे नम हो गयी।

तब रितु ने कहा,"भाभी आपने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं लेकिन अब आप चिंता मत कीजिए अब बिना आपका इलाज कराए मैं यहाँ से कहि नही जाने वाली, मुझे माफ़ कर दीजिए भाभी जो मैंने बिना परिस्थिति को समझे सीधा आपको और भाई को गलत समझ लिया, लेकिन अब ऐसा नही होगा अब मैं अपनी गलती सुधार लुंगी।

अब जब तक भाई के नुकसान की भरपाई नही हो जाती तब तक मैं सारे खर्चे उठाउंगी।

तब सुरभि ने कहा,"नहीं दीदी इसकी कोई जरूरत नहीं आपने हमारे बारे में इतना सोचा वही बड़ी बात गई। बस अपना प्यार साथ और विश्वास बनाएं रखिए।"

तभी वहाँ रितु के पापा और भैया आ गए और दोनों को रोते हुए देख कर बोले," क्या हो गया ? ननद भाभी के बीच में यह रोने का सीन क्यों हो रहा है? कौन से फिल्म की शूटिंग हो रहा है क्या ?"

रितु और सुरभि ने जल्दी से अपने आंसू पोछे।

और रितु ने अपने भैया से कहा," कुछ नहीं ,बस यूं ही आंखों सेआंसू निकल आए. लेकिन आप बोलो आपको क्यों जलन होने लगी।"

तब रितु के भैया ने हँसते हुए कहा,"अरे मैं क्यों जलने लगा भला, वो तो मैं इसलिए बोल रहा था कि आज तक टीवी सीरियल और फिल्मो में सिर्फ नन्द भाभी को लड़ते झगड़ते ही देखा है। और यहाँ एक दूसरे के गले मिलकर रोते देख रहा हूं क्यों अक्षत सही कह रहा हूं ना मैं"

तब अक्षत ने कहा,"हाँ भाई साहब ये तो सही कहा आपने"

और सब ठहाके लगाकर हँसने लगे

तभी रितु के पापा ने कहा, “रितु अब इन बातों को छोड़ो ,बहु जल्दी से सबको चाय पिलाओ एयरपोर्ट पहुंचने में देर हो जाएगी।"

जी पापा जी ये चाय ठंडी हो गयी है दूसरी गर्म करके लाती हु।

रितु तू भी तैयार हो जा और बच्चो को भी तैयार कर लो तैयार हो जाओ वरना फ्लाइट छूट जाएगी।

तब रितु ने कहा,"पापा मैं अभी नही जाउंगी। आज सिर्फ अक्षत जाएंगे मैं कुछ दिन और रुक कर जाउंगी। सुरभि के ऑपरेशन के बाद रितु ने उसका और घर का पूरा ख्याल रखा। अब दोनो नन्द भाभी के बीच दूरियां मिट चुकी थी।

इस बार मायके से जाते समय जो गर्व रितु को अपने आप पर महसूस हो रहा था। इसके पहले उसे कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ। अपने भाई भाभी का थोड़ा सपोर्ट करके जो खुशी उसे मिल रही थी उतनी खुशी उसने आज तक अपने जीवन में कभी महसूस नहीं की।

दोस्तो अक्सर हम बेटियां यह भूल जाते हैं कि हमारी शादी हो गई,इसलिए मां बाप पर हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है, और शादी के बाद ससुराल से मायके आते बिना सोचे समझे अपनी भाभियों के हर काम में मीन मेख निकालना शुरू कर देते है। जबकि यह जानते हुए भी की ये गलत है , हमे अब इस परंपरा को बदलना होगा। बेटियां चाहे तो वह भी अपने मां बाप का और मायके का उतना ही ख्याल रख सकती हैं जितना कि एक बेटे से उम्मीद की जाती है।।

प्रियपाठकगण हमारे समाज में लोग ऐसा क्यों चाहते हैं कि कम से कम उनको एक बेटा जरूर हो वो इसीलिए क्योंकि बेटा उनका बुढ़ापे का सहारा बनेगा। लेकिन जिस दिन से बेटियां अपने मां-बाप का सहारा बनने लगेगी । उस दिन से लोग बेटे की चाहत रखना छोड़ देंगे और बेटा-बेटी का बीच अंतर मिट जाएगा है ।


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