उँगली टेढ़ी कर ली
उँगली टेढ़ी कर ली
रिया ने देख लिया था तीर निशाने पर लगा है क्योंकि पत्र पढ़ते पढ़ते सार्थक का चेहरा पीला पड़ता जा रहा थाअब वो निश्चिंत थी के सार्थक उससे खुद माफ़ी मांगने आयेगापर सार्थक तो पत्र पढ़ वहीं सिर पकड़ के बैठ गया रिया स्टोर रूम की खिड़की से सब देख रही थी
ये है रिया और सार्थक जिनका अभी तीन महीने पहले प्रेम विवाह हुआ है वो भी घर वालों की रज़ामंदी से कुछ दिन से सार्थक उखड़ा उखड़ा रहने लगा था रिया को भी वक़्त नहीं देता था ठीक से ऑफिस से आया थोड़ा बहुत खाया और सो गया
" सार्थक क्या है ये हमारी शादी को 3 महीने ही हुए और तुम ऐसे बिहेव कर रहे सालों हो गए हो!" रिया कल रात ही सार्थक से बोली थी
" रिया प्लीज मैं बहस के मूड मे नहीं हूँ मुझे सोने दो!" सार्थक उखड़े मूड मे बोला
" बहस मैं भी नहीं करना चाहती सार्थक मैं तो बस तुम्हारा साथ चाहती हूँ जो पल शादी से पहले बिताए उन्हे जीना चाहती हूँ!" रिया की आँख मे आंसू आ गए
" सब मिल तो रहा तुम्हे क्या कमी रखी है मैने और जो कर रहा तुम्हारे लिए ही ना ये शानोंशौकत यूहीं नहीं मिलती!" सार्थक बोला और पलट कर सो गया
रिया का बहुत बुरा लगा शादी से पहले सार्थक कितना प्यार जताता था और अब क्या अब सार्थक को मुझसे प्यार नहीं क्या अब सार्थक किसी ओर से
" नहीं नहीं ये क्या सोचने लगी मैं सार्थक सिर्फ मेरा है और मैं ये प्यार मरने नहीं दूंगी !!
आज सुबह सार्थक ऐसे बिहेव कर रहा था मानो कुछ हुआ ना हो नाश्ता करके रोज़ की तरह वो ऑफिस चला गया।
" रिया रिया कहाँ हो तुम!" शाम को घर आ रिया को ना पा सार्थक चिल्लाया।
कोई जवाब ना मिलने पर सार्थक को झटका लगा कही रिया मुझे छोड़ कर तो नहीं चली गई या फिर रिया ने
वो हर कमरे मे रिया को ढूंढने लगा अचानक साइड टेबल पर उसे एक पत्र दिखाई दिया।
" सार्थक ऐसा लगता है शादी के बाद तुम्हे मेरी जरूरत नहीं रही तुम्हारा प्यार कहीं खो गया और मैं ऐसे नहीं जी सकती तुम्हारा प्यार मेरी ताकत था कभी अब वो नहीं है!" सार्थक ने वो अधूरा पत्र पढ़ा और वहीं सिर पकड़ बैठ गया
रिया स्टोर मे बैठी बोर होने लगी उसे भूख भी लगने लगी अचानक उसे ख्याल आया उसने तो कुछ खाया ही नहीं सुबह से उसने वहाँ रखी कचोडी का डिब्बा निकाला और सॉस की बोतल ढूंढने लगी यहाँ स्टोर मे रसोई का सामान एक अलमारी मे रहता था रसोई मे खत्म होने पर यहाँ से निकाल लिया जाता था।
रिया वहीं जमीन मे बैठ कचोडी खाने लगी अचानक उसके हाथ से सॉस की बोतल गिर के फूट गई वहाँ अंधेरा जो था आवाज सुन सार्थक भागा आया खिड़की से आती हल्की रोशनी मे सॉस को खून समझ वो डर गया
उसने लपक कर लाइट जलाई तो देखा रिया मुँह फेरे बैठी है।
वो झट से रिया के चेहरे की तरफ गया तो उसकी हँसी छूट गई रिया को देख
" ये क्या पगली तुम यहाँ ये कचोडी खा रही हो और मेरी जान निकाल दी तुमने!" रिया के मुँह मे कचोडी और चेहरे पर सॉस लगा देख सार्थक बोला
" हुह ये झूठा प्यार रहने दो तुम !" रिया किसी तरह कचोडी सटकती बोली
" नहीं रिया सच मुझे लगा आज मैने तुम्हे खो दिया !"
" मैं इतनी कमजोर थोड़ी जो सुसाइड कर लूंगी मैं तो तुम्हे एहसास कराना चाहती थी बस सोचा तुम मुझे ढूंढोगे यहाँ बैठे भूख लगने लगी तो मैने कचोडी निकाल ली पर इस सॉस की बोतल ने मेरी चोरी पकड़वा दी!" रिया बोली
" पर तुम्हारी इस सॉस की बोतल के कारण मुझे हार्ट अटैक आ जाता मैडम मैं इसे अंधेरे मे खून जो समझ बैठा!" सार्थक रिया को गले लगाते हुए बोला
" अगर सच मे खून होता तो ?"
" नहीं रिया मैं तुम्हारे बिन जिंदगी सोच भी नहीं सकता मुझे माफ़ कर दो अब कभी तुम्हे शिकायत का मौका नहीं दूंगा!" सार्थक घुटनों के बल कान पकड़ के बैठते हुए बोला
" ऐसे कैसे माफ़ कर दूँ तुम्हें कितने दिन सताया है !" रिया अदा से बोली-
" अरे अभी जो किया वो कम था क्या वो पत्र और ये सब सज़ा से कम था क्या अब क्या चाहती!" सार्थक बोला
" चाइनीज़ डिनर अपने उसी रेस्टोरेंट मे जहाँ हम मिलते थे!" रिया बोली-
" चलो तो तैयार हो जाओ ऐसे ही जाओगी क्या सॉस पुते मुँह से ! सार्थक के इतना बोलते ही दोनों हंस पड़े।
