उद्देश्य को मानो
उद्देश्य को मानो
प्रेरणा का नया घर बना था पूरे घर में जगह-जगह बुद्ध की मूर्तियां वॉलपेपर थे। घर काफी सुंदर लग रहा था। हर कोई तारीफ कर रहा था। पूजा के बाद किसी बच्चे से बुद्ध की बहुत सुंदर मूर्ति गिर जाती है। प्रेरणा ने गुस्से से बहुत कुछ कह दिया ,ओर हाथ भी उठाया
कुछ देर बाद उसकी दादी उसे समझा कर चुप करा देती है और मेहमानों के जाने के बाद खाना खाने के बाद दादी जाते-जाते कहती है "मूर्तियों वॉलपेपर की जगह बुद्ध के सिद्धांतों उद्देश्य को मानोगी तो ज्यादा खुशी से जीवन जी पाओगी।"
प्रेरणा पछतावा करती है और सोच में डूब जाती है